डेस्क: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मौजूद काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में जगद्गुरु रामभद्राचार्य पहुंचे. वह विश्वविद्यालय में संस्कृत व्याकरण पर लेक्चर देने के लिए पहुंचे थे. यहां बात करते हुए उन्होंने मांग की है कि काशी के औरंगाबाद का नाम बदला जाए. इसके साथ ही उन्होंने उन सभी मोहल्लों के नाम बदले जाने की मांग की, जिनका नाम मुगल काल में रखा गया है. रामभद्राचार्य ने प्रधानमंत्री को अपना मित्र बताया और कहा कि मोदी जी मेरे मित्र हैं और वो मेरी बात नहीं टालेंगे. आज उन सभी गलतियों को सुधारने का वक़्त है जो अतीत में हुई हैं.
रामभद्राचार्य ने ज्ञानवापी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि ज्ञानवापी की मुक्ति तक हमारा संघर्ष चलता रहेगा. ज्ञानवापी सनातन धर्म का शिखर है. काशी से अपना संबंध बताते हुए जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि काशी मेरी विद्याध्ययन (study of education) के लिहाज से मातृभूमि है. यहां मैंने 11 साल वेदांत और व्याकरण का अध्ययन किया है. यहां आकर बहुत खुशी मिलती है.
रामभद्राचार्य ने मनुस्मृति पर एक बार फिर से अपना बयान दोहराया. जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि महाकुंभ में भी मैंने यही कहा था और आज फिर दोहरा रहा हूं कि मनुस्मृति का एक भी शब्द राष्ट्र विरोधी नहीं है. मनुस्मृति पर चर्चा कर के देख लें. रामभद्राचार्य ने मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था को सनातन का स्वर्णिम काल बताया है.
इसके साथ ही रामभद्राचार्य ने आगे कहा कि विपक्ष के लगातार दुष्प्रचार करते रहने के बावजूद 66 करोड़ से ज़्यादा सनातनियों ने महाकुम्भ में स्नान किया. रामभद्राचार्य ने सीधे तौर पर मुगल काल में रखे गए सभी जगहों के नाम को बदलने की मांग की है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना दोस्त बताते हुए कहा कि वह उनकी बात नहीं टालेंगे. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि आज उन सभी गलतियों को सुधारने का वक्त हैं, जो अतीत में हुई थीं.
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