- लगातार ड्यूटी दे रहे मैटरनिटी वार्ड इंचार्ज ने वार्ड में जड़ा ताला-सिविल सर्जन ने खोला-पंचनामा बनाया
आगर मालवा (मनीष मारू)। जिला अस्पताल में पदस्थ डॉक्टरों के बीच चल रही अंतर्कलह कल सोमवार को खुलकर सामने आ गई। यहां डिलेवरी वार्ड में स्टाफ की कमी दूर करने की बात पर डाक्टरों में विवाद के बाद जिला अस्पताल के डिलेवरी वार्ड में इंचार्ज महिला रोग विशेषज्ञ ने वहां डिलेवरी वार्ड में ताला लगा दिया। हालांकि जानकारी मिलने पर सिविल सर्जन पहुंचे और पंचनामा बनाकर वहां स्टाफ से बयान दर्ज किए गए। इस बीच करीब आधा घंटे तक अस्पताल में गहमा गहमी मची रही। जिला अस्पताल में सुविधा के नाम पर मरीजों को उचित उपचार दिए जाने के बजाए चिकित्सकों में आपसी खींचतान और एक-दूसरे को नीचा दिखाने एवं निजी अस्पताल संचालकों से सेटिंग कर मरीजों को रैफर करने संबंधित विवाद आए दिन देखने को मिलते आ रहे है। हालांकि यह सब दबी जुबान में यहाँ होता आ रहा है, लेकिन सोमवार को जिला अस्पताल में घटे घटनाक्रम ने यहाँ चल रहे ऐसे मामलों की परत खोल दी।
बता दें कि अस्पताल में पदस्थ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रोहित चौधरी, सिविल सर्जन डॉ. एसके पालीवाल के पास वार्ड में स्टाफ की कमी को दूर करने की मांग को लेकर गए थे, जहां समीक्षा बैठक चल रही थी। उसी दौरान डॉ. चौधरी और सिविल सर्जन के बीच जमकर बहस भी हुई जिसके बाद गुस्से में डॉ. चौधरी ने डिलेवरी वार्ड में ताला लगा दिया। करीब आधा घंटे तक वहाँ ताला लगा रहने के बाद सिविल सर्जन डॉ. पालीवाल वहां पहुंचे और ताला खुलवाकर पंचनामा बनाया और स्टाफ कर्मी से बयान भी लिए गए। यहां डॉ. चौधरी और हॉस्पिटल के आरएमओ डॉ. शशांक सक्सेना के बीच जमकर तीखी नोकझोंक भी हुई। सिविल सर्जन डॉ. पालीवाल का कहना है कि डॉ. चौधरी कुछ स्टाफ नर्सों के साथ उनके पास अन्य स्टाफ की मांग को लेकर आए थे। इस दौरान किसी बात को लेकर उन दोनों में बहस हो गई थी, जिसके बाद डॉ. रोहित चौधरी गुस्से में नीचे चले गए और मेटरनिटी वार्ड में ताला लगा दिया। कुछ ही देर बाद उन्हें इस बात की जानकारी लगी तब उनके द्वारा मेटरनिटी वार्ड पहुंचकर वहां का ताला खुलवाया गया है। मामले में विभागीय स्तर पर जांच की जाकर आगामी कार्रवाई करने की बात भी सिविल सर्जन ने कही। मामले में डॉ. चौधरी का कहना है कि स्टाफ नर्स की कमी से परेशान होकर वे सिविल सर्जन के पास गए थे, लेकिन उनके द्वारा हमारी परेशानी दूर करने के बजाय कहा गया कि मैटरनिटी वार्ड में ताला लगा दो तो हमने ताला लगा दिया, हालांकि चाबी वहीं रखी थी। उनका कहना था कि वे जिला अस्पताल में एक मात्र महिला रोग चिकित्सक है, जिला अस्पताल में 1 वर्ष से भी अधिक समय से उनके द्वारा बिना कोई अवकाश लिए 24 घंटे सेवा दी जा रही है, और 4 हजार से अधिक प्रसव उनके मार्गदर्शन में हो चुके है। जिसमें करीब 500 क्रिटिकल प्रसव भी शामिल हैं। 200 से अधिक प्रसव ऑपरेशन के जरिए जिला अस्पताल में करवाई गई है, लेकिन स्टाफ की कमी होने से परेशानी आती है। डॉ. चौधरी ने जिला अस्पताल के चिकित्सक सहित शहर के कुछ निजी चिकित्सालय संचालकों पर प्रसव केस रैफर करने के लिए दबाव बनाने की बात भी कही। ये चले गए तो गरीब जनता का क्या होगा
आगर मालवा जिला कृषि प्रधान जिला है यहाँ की अधिकांश जनता गांवों में निवास करती है, लिहाजा बड़ी संख्या में लोग उपचार के लिए जिला अस्पताल पहुंचते हैं। जिला अस्पताल में सामान्य प्रसव और ऑपरेशन से प्रसव किये जा रहे हैं। जिनकी मासिक संख्या औसतन 350 के करीब है। अगर यह सुविधा जिला अस्पताल में नहीं मिलती है तो ग्रामीण क्षेत्र की जनता को निजी अस्पतालों के भारी भरकम बिलों का बोझ उठाना पड़ेगा, वहीं कमीशन खोरों की पौबारह हो जाएगी। कहीं षडयंत्रों का शिकार होकर यह चिकित्सक भी चले गए तो गरीब जनता का क्या होगा?
क्या कायाकल्प अभियान में बदलेगी अस्पताल की सूरत
जिस जिला अस्पताल को पहले रेफर स्टेशन के नाम से जाना जाता था वहाँ अब ऑपरेशन के जरिए डिलीवरी होने लगी, लिहाजा पिछले 1 वर्ष के दौरान यहां 4000 से अधिक डिलीवरी करवाई जाना निश्चित रूप से निजी चिकित्सालय और कमीशन खोर डॉक्टरों के लिए परेशानी का कारण तो होगा ही, अब देखते हैं आने वाले दिनों में कायाकल्प अभियान के तहत इस अस्पताल का क्या कायाकल्प होता है।