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    दुनिया का सबसे अनोखा देश, महज 12 किमी लंबा और 200 मीटर चौड़ा

  • October 26, 2024


    डेस्क । दुनिया (World) में कई देश (country) हैं जो अपनी अलग पहचान रखते हैं। लेकिन आज जिस देश के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं वह वास्तव में बेहद खास है। इस देश की कुल लंबाई मात्र 12 किमी (only 12 km long) है और चौड़ाई 200 मीटर (200 meters wide) । यहां पर एकमात्र एयरपोर्ट, हॉस्पिटल और पुलिस थाना है। इसका नाम है तुवालू (Tuvalu)। जो प्रशांत महासागर में हवाई और ऑस्ट्रेलिया के बीच स्थित एक पोलिनेशियाई द्वीपीय देश है। इस देश की राजधानी फनाफुटि है। यहां पर तुवालुआन और ऑस्ट्रेलियाई डॉलर करेंसी के रूप में चलते हैं। इसके पड़ोसी देश हैं किरिबाती और फिजी। यह देश कुल नौ छोटे-छोटे आइलैंड्स से मिलकर बना है। यहां की कुल आबादी 12,373 है। साल 2021 में नौ नवंबर को यहां के तत्कालीन विदेश मंत्री सिमोन कोफे ने घुटने तक पानी में खड़े होकर स्पीच दी थी। इसके साथ ही उन्होंने तुवालू के समुद्र में समाने के दर्द को सामने रखा था।

    तुवालू की खोज 1568 ईस्वी में हुई थी। बाद में ब्रिटेन ने इसके ऊपर अपना दावा पेश किया। एक अक्टूबर 1978 में तुवालू को यूनाइटेड किंगडम से आजादी मिली। यहां पर संसदीय लोकतंत्र और संवैधानिक राजशाही है। यह अभी भी ब्रिटिश शासन के तहत आता है और यहां पर गवर्नर जनरल का शासन चलता है। अगर कुल क्षेत्रफल की बात करें तो तुवालूमात्र 26 वर्ग किमी में फैला है। विश्व बैंक के मुताबिक 2016 में तुवालू की कुल जनसंख्या 11,097 थी। पर करीब 91 फीसदी लोग नास्तिक हैं और अन्य ईसाई धर्म को मानने वाले हैं।


    बढ़ता समुद्री जलस्तर तुवालू के लिए सबसे बड़ा संकट है। नासा का अनुमान है कि साल 2050 तक यहां के कई हिस्से ज्वार में डूब जाएंगे। समुद्री पानी के चलते अब यहां पर फसलें खराब होने लगी हैं। इसके चलते लोगों के सामने खाने का संकट पैदा होने लगा है। इसके लिए यहां पर अलग इंतजाम किया जा रहा है। खेती योग्य जमीन को बढ़ाया जा रहा है और इसके लिए समुद्री दीवारें बनाई जा रही हैं। तुवालू के लिए सबसे बड़ी आशा की किरण ऑस्ट्रेलिया है जो उसके लिए प्रवास का रास्ता बना रहा है।

    टूरिज्म का क्या स्कोप
    प्राकृतिक नजारों और चारों से घिरे समुद्र की खूबसूरती मन को मोहने वाली है। इसके बावजूद यहां पर टूरिस्ट बहुत कम ही आ पाते हैं। हर साल औसतन 2000 टूरिस्ट तुवालू देश पहुंचते हैं। यहां कम लोगों के आने की सबसे बड़ी वजह है यहां पर ताजे पानी की कमी। ताजे पानी का सबसे बड़ा स्रोत यहां पर बरसात है। खाने के लिए मछलियां ही मिलेंगी। ऐसे में अगर कोई शाकाहारी है तो उसके लिए यहां काफी मुश्किल होगी। संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्लूटीओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2016 में 2,000 लोगों ने तुवालू की यात्रा की। वहीं, 2014 में यहां की यात्रा करने वालों की संख्या मात्र एक हजार थी।
    वैसे यह देश घूमने के लिए बेहद खास है। तुवालू उन चार देशों में से एक है जो पूरी तरह से मूंगा एटोल पर बने हैं। असल में एटोल समुद्र के अंदर के द्वीप होते हैं। जब ज्वालामुखी समुद्र में ढह जाता है तो अपने पीछे एक मूंगा चट्टान छोड़ जाता है। यह द्वीप को घेरे हुए हैं। यहां का मौसम भी बेहद लाजवाब होता है। अगर आप तुवालू जाने के बेस्ट समय के बारे में सोच रहे हैं तो आपको बता दें कि मई से अक्टूबर महीने का समय सबसे अच्छा रहता है। इस वक्त मौसम खुशनुमा रहता है। साथ ही बारिश और उमस भी कम रहती है।

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