भोपाल । भारतीय समाज (Indian society) में कहा जाता है कि बेटियां तीन पीढ़ियों को उबारने वाली होती हैं। जहां बेटी नहीं वहां शुभता नहीं रहती, इसलिए हर घर में कम से कम एक बेटी का होना जरूरी है। बेटियां पृथ्वी पर ईश्वर का सबसे बड़ा उपहार हैं, क्योंकि वे हैं तभी सृष्टि की निरंतरता है। अन्यथा मनुष्य का अतिस्व ही नहीं है। इसके बावजूद भारत में गिरता लिंगानुपात (Sex ratio) हर वर्ग के लिए लगातार चिंता का विषय रहा है। माता-पिता की इच्छा रहती है कि वह अपनी बेटी का विवाह धूमधाम से करें और उसमें कहीं भी रुपया-पैसा आड़े नहीं आए।
अब तक कि सफलतम योजना है ये
वास्तव में हर मां-बाप चाहते हैं कि उनकी बेटी के भविष्य को संवारने के लिए बहुत सा फंड इकट्ठा कर लिया जाए, ताकि आगे चलकर बेटी को किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो। वैसे महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य जरूरतों के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। उनमें भी लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की ”सुकन्या समृद्धि योजना” अब तक कि अत्यधिक सफलतम योजना साबित हुई है। आज यह योजना देश भर में हर कन्या का भविष्य सुरक्षित कर रही है।
अच्छी बात यह है कि कोरोना के इस संकट काल में भी अपनी बेटी के सुनहरे भविष्य के लिए माता-पिता इस योजना में बेटी के नाम उसके खाते में समय से रुपये जमा करा रहे हैं। देश में जहां कई राज्य इस योजना को गंभीरता से लेकर इस पर काम कर रहे हैं, वहीं केंद्र सरकार द्वारा बालिकाओं के लिए शुरू की गई बहुचर्चित ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ में मध्य प्रदेश ने आज देश के सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। बेटी की पढ़ाई और उसके सुखद भविष्य को सुनिश्चित करने वाली इस महत्वाकांक्षी योजना से अब तक करीब साढ़े तीन लाख से अधिक परिवारों को जोड़ने में सफलता प्राप्त की है। इसी के साथ यह राज्य देश में इस योजना में अव्वल राज्यों में भी आ गया है।
इस जिले में हुआ है सर्वश्रेष्ठ कार्य
इसमें भी जिस जिले ने बेटियों के लिए विशेष कार्य किया है, वह मध्य प्रदेश का छोटा सा जिला कटनी है, जहां बेटी पढ़ेगी, बेटी बढ़ेगी, बेटी इतिहास गढ़ेगी के ध्येय को लेकर खास पहल की गई है। कटनी जिला प्रशासन के बेहतर प्रयासों से जिले ने सुकन्या समृद्धि योजना के क्रियान्वयन में सबसे अधिक सुकन्या खाते खोलकर प्रदेश में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। यहां डाक विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों ने गांवों के हाट बाजारों और सरकारी मेला-प्रदर्शनियों में भी पहुंचकर लोगों को ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ की अहमियत समझाई है।
महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों एवं मैदानी कार्यकर्ताओं द्वारा विशेष अभियान चलाया गया। इसके तहत जिले की पात्र बेटियों के नाम डाकघरों में भारतीय डाक विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के स्टाफ के समन्वय से सुकन्या समृद्धि खाता खोलने की कार्यवाही की गई। 22 फरवरी से 31 मार्च 2021 तक चलाए गए व्यापक अभियान के सार्थक परिणाम सामने आये और जिले में 31 हजार 904 पात्र बेटियों के नाम से सुकन्या समृद्धि योजना के खाते खुल गए। कटनी जिले में खुले खातों की संख्या प्रदेश में नंबर एक पर है।
40 दिनों में खोले गए 31 हजार से अधिक नए खाते
जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग नयन सिंह बताती हैं कि सुकन्या समृद्धि योजना के तहत अकाउन्ट खोलने के लिए जिले में कार्ययोजना बनाकर कार्य किया गया। जिसके तहत 40 दिनों में ही 31 हजार 904 बालिकाओं के खाते खोले गये। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के उद्देश्य के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग का अमला इस काम में मुस्तैदी से जुटा। प्रत्येक बालिका का खाता 250 रुपये से खोला गया।
बेटियों के लिए दानवीरों ने बढ़ाए हाथ
इसमें खास बात यह भी रही कि 1856 ऐसी बालिकाओं जिनके अभिभावक के पास पैसे नहीं थे, उनकी राशि विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों ने स्वेच्छा ने अपनी ओर से जमा कराई। इस खास पहल पर जबलपुर संभाग के प्रवर अधीक्षक डाकघर पीएन पाण्डेय ने इस उपलब्धि के लिए सभी की सराहना की है। वे कहते हैं कि आज हमारे संभाग में यदि ये योजना इतनी सफल हो सकी है तो निश्चित ही इसमें महिला बाल विकास विभाग, डाक घर के सभी कर्मचारियों एवं उन तमाम मां-बाप का संयुक्त प्रयास कारगर रहा है, जिन्होंने केंद्र सरकार की इस योजना का महत्व समझा और बेटियों के भविष्य को सुनहरा बनाने के लिए अपना समय, श्रम और पूंजी लगाने में जरा भी संकोच नहीं किया है।
उन्होंने आगे कहा कि इस योजना के पूरा होने पर मैं यही कह सकता हूं कि देश की लाखों बेटियों का भविष्य स्वत: सुरक्षित है। माता-पिता इससे मिलनेवाले रुपए को बेटी की इच्छा के साथ अपने हिसाब से उसकी बेहतर शिक्षा एवं विवाह के साथ यदि वह कुछ अपना स्टार्टप शुरू करना चाहती है तो उस पर खर्च कर सकते हैं ।
इस प्रकार होती है सुकन्या इससे समृद्ध
सुकन्या समृद्धि योजना को 22 जनवरी, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आरंभ की गई । योजना के अंतर्गत बेटी के माता-पिता द्वारा बेटी के लिए बचत खाता किसी भी राष्ट्रीय बैंक में या फिर पोस्ट ऑफिस (डाकघर) में खोल सकते हैं । ‘सुकन्या समृद्धि’ बचत योजना मे बेटी की उम्र 10 साल होने से पहले न्यूनतम 250 रुपये से 15 साल के लिए खाता खुलवाया जा सकता है। इसकी पॉलिसी 21 साल बाद मैच्योर होती है।
मान लीजिए कि अगर आप 14 साल तक 1.5 लाख रुपये (12,500 रुपये महीने) सालाना का निवेश करते हैं तो 15वें साल में 40 लाख रुपये की राशि इसमें हो जाएगी, इसके बाद 40 लाख रुपये अगर नहीं निकाला जाए तो यह 21वें साल में बढ़कर 65 लाख रुपये हो जाएगी, जिसका आपकी बेटी अपने हिसाब से अपने सुनहरे भविष्य के लिए उपयोग कर सकती है।
केंद्र सरकार की योजना होने की वजह से निवेश करने वालों के पैसों की पूरी सुरक्षा रहती है । अकाउंट में जमा किए गए पैसों पर इनकम टैक्स की धारा 80 सी के तहत छूट भी मिलती है।
कोरोना काल में पोस्ट ऑफिस या बैंक जाने की नहीं है जरूरत
अगर आपने अपनी बेटी का सुकन्या समृद्धि अकाउंट पहले ही खोल रखा है और कोरोना की वजह से आप पोस्ट ऑफिस या बैंक जाकर उसमें पैसे नहीं जमा कर पा रहे हैं तो आपको अब बिल्कुल भी चिंता करने की जरूरत नहीं है। अब आप ये काम घर बैठे ऑनलाइन कर कर सकते हैं।
सुकन्या समृद्धि अकाउंट में पैसा जमा करने के लिए सबसे पहले अपने बैंक खाते से आईपीपीबी खाते में पैसे जोड़ें। अब डीओपी प्रोडक्ट पर जाएं, यहां आपको सुकन्या समृद्धि खाता दिखाई देगा, उसे सेलेक्ट करें। अब अपना एसएसवाई अकाउंट नंबर और फिर डीओपी कस्टमर आईडी भरें। अब किस्त की अवधि और राशि चुनें। इसके बाद प्रोसेस पूरा करते ही पैसे सुकन्या समृद्धि खाते में चले जाएंगे। आईपीपीबी पोस्ट ऑफिस का मोबाइल एप्लीकेशन आप गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं। इसी प्रकार से आपको बैंक की साइट पर जाकर प्रॉसेस पूरा करना है।
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