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    जितने मंत्री हारेंगे, उतने भाजपा के वरिष्ठ विधायक लेंगे शपथ

  • November 08, 2020

    • दीपावली बाद हो सकता है मंत्रिमंडल विस्तार एवं फेरबदल

    भोपाल। प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव को लेकर दोनों दल कांग्रेस एवं भाजपा अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन एग्जिट पोल आने के बाद से कांग्रेस खेमे में निराशा है। जबकि भाजपा में उत्साह है। शनिवार को भोपाल ने एक-एक विधानसभा सीट पर मंथन किया। विधानसभा प्रभारी, जिलाध्यक्ष एवं अन्य पदाधिकारियों से फीडबैक लिया गया। जिसमें यह तथ्य सामने आया कि भाजपा सभी सीट नहीं जीत रही है। कुछ ऐसी सीटों पर भाजपा कमजोर है, जहां कुछ मौजूदा मंत्री प्रत्याशी हैं। उपचुनाव में जितने मंत्री हारेंगे, उतने भाजपा के वरिष्ठ विधायकों को मंत्रिमंडल में आने का मौका मिलेगा। मंत्रिमंडल का विस्तार एवं फेरबदल संभवत: दीपावली के बाद या फिर अगले महीने की शुरूआत में हो सकता है। उपचुनाव में भाजपा को ग्वालियर-चंबल संभाग की 16 सीटों पर ज्यादा नुकसान होने की संभावना है। इनमें से कुछ सीटों पर मौजूदा मंत्रियों की हालत पार्टी नेता ठीक नहीं मान रहे हैं। कुछ मंत्रियों की हार की संभावना के चलते भाजपा के ऐसे विधायक भी सक्रिय हो गए है, जो मंत्री पद की दौड़ में हैं और पूर्व में भी वे मंत्री पद की दौड़ में शामिल थे। भाजपा सूत्रों से खबर हैं कि ऐसे करीब एक दर्जन भाजपा विधायकों ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। हालांकि इन विधायकों को भाजपा ने उपचुनाव में किसी न किसी सीट की जिम्मेदारी सौंपी थी।

    आधा दर्जन विधायक बनेंगे मंत्री!
    उपचुनाव के नतीजे 10 नवंबर को आएंगे। इसके बाद स्थिति साफ हो जाएगी कि भाजपा उपचुनाव में कितनी सीटों पर जीतेगी। हालांकि एग्जिट पोल में भाजपा की 28 में से 15 सीटों पर जीत बताई जा रही है। जिसमें से आधा दर्जन सीटों पर मंत्रियों के हारने की भी आशंका है। ऐसे में शिवराज मंत्रिमंडल में आधा दर्जन विधायकों को मंत्री बनने का मौका मिल सकता है।

    शिवराज ही रहेंगे चेहरा
    भाजपा ने उपचुनाव सिर्फ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर जीता है। इसके लिए मुख्यमंत्री ने हर सीट पर औसतन 5 सभाएं की है। हालांकि भाजपा ने उपचुनाव में शिव-ज्योति एक्सप्रेस का नाम दिया था। लेकिन एग्जिट पोल में भाजपा को ग्वालियर-चंबल में कुछ सीटों पर हार की संभावना जताई है। ऐसे में सिंधिया समर्थक कुछ विधायकों को हार का सामना करना पड़ सकता है। इस हार को भाजपा सिंधिया की हार बता सकती है। क्योंकि खुद सिंधिया ने उपचुनाव को सिंधिया परिवार की प्रतिष्ठा का बना दिया था। उन्होंने खुद वीडियो जारी कर कहा था कि ‘यह चुनाव भाजपा और शिवराज का नहीं है, बल्कि महाराज का चुनाव है।

    महाकौशल और विंध्य के विधायकों को मौका
    शिवराज मंत्रिमंडल में वर्तमान में 31 मंत्री हैं। पिछले महीने 20 अक्टूबर को बिना विधायक के मंत्री के रूप में छह महीने का कार्यकाल पूरा होने पर तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत ने इस्तीफा दे दिया था। ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार में 6 से 8 विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है। जिसमें महाकौशल और विंध्य क्षेत्र के विधायकों को मौका मिलेगा। क्योंकि शिवराज मंत्रिमंडल में विंध्य से रामखिलावन पटेल को छोड़कर अन्य किसी विधायक को शामिल नहीं किया गया है। जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को विंध्य क्षेत्र से ही बड़ी जीत मिली थी।

    सिलावट और राजपूत जीते तो बनेंगे मंत्री
    गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट वर्तमान में न तो विधायक हैं और न ही मंत्री हैं। हालांकि मंत्री रहते उन्हें जो स्टाफ मिला था, वह अभी भी उनके पास है। वर्तमान में उनके निर्देश पर ही विभागों में काम हो रहा है। सिलावट और राजपूत फिर से चुनाव जीते तो फिर मंत्री बनेंगे। संभवत: उनके विभाग भी वहीं रहेंगे। हालांकि ऐसी संभावना है कि उपचुनाव के नतीजों के बाद होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार एवं फेबरदल में इनके विभाग भी बदले जा सकते हैं। सिलावट से जल संसाधन और गोविंद सिंह राजपूत से राजस्व विभाग छिन सकता है।

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