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    बड़े नेताओं के भाजपा में जाने से कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा-पटवारी

  • June 09, 2024

    12 सीट पर जिताने वाले पटवारी पहले ही आलाकमान को बता चुके थे प्रदेश की हकीकत

    इंदौर। संजीव मालवीय
    प्रदेश में लोकसभा चुनाव परिणाम (Lok Sabha Election Results) आने के पहले 12 सीटों (12 seats) पर जीत का दावा करने वाले प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी (State President Jitu Patwari) ने आलाकमान (High command) को जो रिपोर्ट दी थी, उसमें बड़े नेताओं के भाजपा (BJP) में जाने के कारण कार्यकर्ताओं (workers) का मनोबल टूटना और सारी ताकत लगाने के बाद भी उन्हें रोक नहीं पाने को लेकर चर्चा की थी, फिर भी उम्मीद बनी थी कि ग्वालियर, चंबल की 3 सीटें, आलीराजपुर और राजगढ़ से कांग्रेस जीतेगी, लेकिन नतीजा बिल्कुल उलट हुआ और 1 बची हुई सीट भी कांग्रेस ने गंवा दी। कल जीतू पटवारी दिल्ली में थे। बैठक के बाद उन्होंने कुछ बातों से पर्दा उठाया और बताया कि कैसे उन्होंने अपनी नियुक्ति के 4 महीने में ही संगठन को खड़ा करने का प्रयास किया।



    आप तो 12 सीटें जीतने की बातें कर रहे थे?
    शुरुआत में हमें 12 सीटों पर जीत नजर आ रही थी, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ते गए और कार्यकर्ताओं का मनोबल बड़े नेताओं के दलबदल के कारण टूटता गया, उसे रोकने में हम नाकामयाब रहे। कोशिश तो खूब की, लेकिन इतनी जल्दी सब संभव नहीं था।

    फिर परिणाम आने तक क्यों दावा कर रहे थे?
    मैंने अपने आलाकमान को यह बात पहले ही बता दी थी। रिजल्ट के दो दिन पहले जब हमने समीक्षा की थी तो उन्हें बता दिया था कि प्रदेश में कांग्रेस के अनुकूल हालात नहीं है। हालांकि दिग्विजयसिंह, कांतिलाल भूरिया, ओंकार मरकाम, फूलसिंह बरैया, ओमप्रकाश खरते सहित चंबल और ग्वालियर की तीन सीटों पर हमें संभावना थी कि यहां कम वोट से जीतेंगे, लेकिन जीतेंगे तो सही, वही प्रशासन ने भी भाजपा का साथ दिया और कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास काम नहीं कर पाया।

    क्या कारण रहा नेताओं के पार्टी छोडऩे का?
    राम मंदिर को लेकर जिस तरह से लहर चली थी, उससे कांग्रेस के बड़े नेता भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके। उन्हें लगा कि अब सबकुछ राम मंदिर के नाम पर ही चलने वाला है और कांग्रेस छोड़ गए।

    आपका नेतृत्व कुछ को पसंद नहीं था?
    ऐसा कुछ नहीं है। मैं लंबे समय से कांग्रेस में काम कर रहा हूं। पार्टी किसी न किसी को जवाबदारी तो देती है और मुझे दी गई। कुछ नेताओं में असुरक्षा की भावना भी आ गई थी और वे दल-बदलकर चले गए। इसके अलावा और भी कुछ कारण रहे, मैं उन कारणों में नहीं जाना चाहता हूं।

    आपके ही नेता कह रहे हैं कि पटवारी जाते लोगों को रोक नहीं पाए?
    चुनाव परिणाम आने के बाद भी मैंने आलाकमान और बड़े नेताओं से बात की थी। उन्हें बताया था कि मुझे केवल 4 महीने ही हुए हैं। उन्हें भी मध्यप्रदेश के हालातों के बारे में जानकारी दी। मैंने उनसे यह भी कहा कि आप तो मेरे 4 महीने के कार्यकाल की समीक्षा कर लें। मैंने संगठन को खड़ा करने की पूरी कोशिश की। ये नई व्यवस्था के लिए संघर्ष का समय था।

    भाजपा की जीत के और क्या कारण मानते हैं?
    लाड़ली बहना ने महिलाओं को बहुत प्रभावित किया है। इस योजना से महिलाएं काफी प्रभावित हुईं और उन्होंने भाजपा को वोट दिया।

    अब आगे कांग्रेस का प्लान?
    निश्चित ही कांग्रेस में अब युवा जोश आपको नजर आएगा। हमारी तैयारी एक सशक्त संगठन खड़ा करने की है और दिल्ली से आकर मैं इसी में जुटने वाला हूं।

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