भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रतलाम (Ratlam) जिले के कोटड़ी गांव (Kotri Village) में इंसानों का जानवर (Animal) के प्रति प्यार की एक अनोखी मिसाल देखने को मिली है. गांव में एक बंदर की मौत (monkey death) हो जाने पर ग्रामीणों ने शनिवार को तेरहवीं का आयोजन किया और सभी को भोजन भी कराया गया. इस भोज में बड़ी संख्या में लोगों ने आकर भोजन किया. जानकारी के अनुसार भोज में तकरीबन 1500 लोगों से ज्यादा लोगों ने भोजन ग्रहण (More than 1500 people took food) किया है.
रतलाम जिले में एक बंदर के प्रति श्रद्धा और आस्था (faith and belief) का अनूठा नजारा देखने को मिला. यहां लोगों में बंदर के प्रति गजब की श्रृद्धा दिखाई दी. गांव में बंदर की बीमारी के चलते मौत हो गई थी. जिसके बाद ग्रामीणों ने विधि विधान से अंतिम संस्कार किया और तेरहवीं कर पूरे गांव को भोजन करवाया. बंदर को स्थानीय लोग परिवार के सदस्य की तरह मानते थे. ग्रामीण कमलसिंह ने बताया कि 14 फरवरी को बंदर का बीमारी के चलते निधन हो गया था. उसका आसपास के क्षेत्रों में ही बसेरा था. ग्रामीण उसे आते जाते भोजन सामग्री देते थे. यही कारण है कि लोगों का इस बंदर से खासा लगाव हो गया था. उसकी मौत पर ग्रामीणों ने भी पूरी आत्मीयता से उसे अंतिम विदाई दी थी. उन्होंने बताया कि ढोल धमाकों के साथ कंधा देते हुए अंतिम यात्रा निकाली गई थी. लोगों ने मंदिर में 12 दिन तक शोक बैठक का आयोजन किया. गोपाल दास महाराज ने उज्जैन जाकर बंदर की मृत्यु के बाद की सभी क्रियाएं संपन्न की और मुंडन भी करवाया. बंदर के अंतिम संस्कार में बैंड बाजे के साथ अंतिम यात्रा निकालकर किया गया था. वहीं, बंदर की मौत के तीसरे दिन बाद उसकी अस्थियां उज्जैन में विसर्जित की गई थी. ग्रामीण कमलसिंह ने बंदर का अंतिम संस्कार के बाद बाल भी मुंडवाए और अपने परिवार के सदस्य की तरह तेरहवीं का कार्यक्रम संपन्न किया. ग्रामीणों का मानना है कि बंदर हनुमानजी का ही रूप हैं और इसलिए उन्होंने पूरे रीति रिवाज के साथ बंदर की अंतिम विदाई की है.