नई दिल्ली: इंसान हमेशा से ही स्पेस और पृथ्वी के अलावा किसी दूसरे ग्रह पर जीवन की मौजूदगी को लेकर दिलचस्पी दिखाता रहा है. हम इस सवाल को जानने में बहुत दिलचस्पी लेते हैं कि क्या Universe में हमारे अलावा भी कोई मौजूद है. यही वजह है कि दुनियाभर की स्पेस एजेंसियां दूसरे ग्रहों पर स्पेस मिशन भेजती रहती हैं. इन मिशन्स का मकसद कुछ सवालों का पता लगाना होता है, जैसे क्या किसी दूसरे ग्रह पर जीवन मौजूद है? एलियंस हमसे संपर्क करते हैं, तो हमें क्या करना है?
इन बातों को ध्यान में रखते हुए यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) एलियंस की तरफ से आने वाले मैसेज यानी सिग्नल्स का जवाब देने की तैयारी कर रही है. इसी के तहत ESA ने अपने ExoMars Trace Gas Orbiter के जरिए मंगल ग्रह से ‘मॉक’ सिग्नल पृथ्वी पर भेजा. इस गुप्त मैसेज को 24 मई को रात 9 बजे लाल ग्रह से पृथ्वी पर सेंड किया गया. दरअसल, एलियंस के सवालों के जवाब देने के लिए स्पेस एजेंसी A Sign in Space नाम से एक प्रोजेक्ट चला रही है.
प्रोजेक्ट को तैयार करने वाली डेनिएला डी पॉलिस का कहना है कि हमारे इतिहास को उठाकर देखने पर पता चलता है कि मानवता शक्तिशाली और परिवर्तनकारी घटनाओं में जवाबों को खोजती है. अगर हमें बाहरी दुनिया से कोई मैसेज मिलता है, तो ये पूरी मानवता के लिए एक बेहद ही दिलचस्प अनुभव होगा. A Sign in Space प्रोजेक्ट के तहत ही भविष्य में एलियंस के मैसेज का जवाब देने की तैयारी की जा रही है.
मैसेज भेजने का मकसद क्या है?
दरअसल, यूरोपियन स्पेस एजेंसी का स्पेसक्राफ्ट अक्टूबर 2016 से लाल ग्रह का चक्कर लगा रहा है. वह मंगल ग्रह पर बायोलॉजिकल या जियोलॉजिकल गतिविधियों के सबूत ढूंढने में लगा हुआ है. ईएसए ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि मैसेज सबसे पहले 10 मई को जर्मनी के डार्मस्टैड में स्पेसक्राफ्ट एजेंसी के मिशन कंट्रोल सेंटर को भेजा गया था. इसे मेमोरी में स्टोर किया गया और फिर डाटा में बदलकर वापस धरती पर भेजा गया.
ईएसए ने आगे बताया कि जनता और सभी देशों के एक्सपर्ट्स को कहा गया है कि वे मैसेज को डिकोड करें और बताएं कि इसमें क्या लिखा है. मैसेज में जो बातें लिखी गई हैं, उसकी जानकारी स्पेस एजेंसी को पहले ही जानकारी है. मगर इस जानकारी को छिपाकर रखा गया है. एजेंसी ने मैसेज क्रैक करने वाले लोगों से कहा गया है कि वे अपने जवाबों को ईएसए को सौंप सकते हैं. दरअसल, इसका मकसद ये है कि जब एलियंस सच में कोई मैसेज सेंड करें, तो दुनिया के लोग इसे डिकोड कर पाएं.
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