नई दिल्ली। अब लोग जल्द ही यह जांच कर पाएंगे कि जिस दवा (medicine) को खरीदने जा रहे हैं वह असली है या नहीं, क्योंकि असली और नकली दवा (real and fake medicine) की पहचान कर पाना मुश्किल है, लेकिन जल्द ही आपकी यह समस्या दूर होने वाली है।
आपको बता दें कि सरकार एक ट्रैक एंड ट्रेस मैकेनिज्म (track and trace mechanism) पर काम कर रही है जिससे नकली और घटिया दवाओं के इस्तेमाल को रोका जा सकेगा। इसके तहत पहले चरण में दवा कंपनियां सबसे अधिक बिकने वाली 300 दवाओं की प्राथमिक उत्पाद पैकेजिंग लेबल पर बारकोड या क्यूआर (quick response-QR) कोड प्रिंट करेंगी या चिपकाएंगी. प्राथमिक उत्पाद पैकेजिंग में बोतल, कैन, जार या ट्यूब शामिल हैं, जिसमें बिक्री के लिए दवाएं होती हैं।
हाल ही में सामने आए एक बड़े मामले में तेलंगाना ड्रग्स अथॉरिटी ने थायरॉयड की दवा थायरोनॉर्म की गुणवत्ता को खराब पाया। उसे बनाने वाली दवा कंपनी एबॉट ने कहा कि उसकी थायरॉयड की दवा थायरोनॉर्म नकली थी, जबकि एक अन्य उदाहरण में बद्दी में ग्लेनमार्क की ब्लड प्रेशर की गोली टेल्मा-एच के नकली ड्रग रैकेट का भंडाफोड़ किया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक निम्न और मध्यम आय वाले देशों में लगभग 10% मेडिकल प्रोडक्ट घटिया या नकली होते हैं।
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