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तीन अफ़सोसनाक खबरों से सदमे में आया मीडिया जगत

July 09, 2022

  • जि़न्दगी है अपने क़ब्ज़े में न अपने बस में मौत, आदमी मजबूर है और किस कदर मजबूर है।

उफ…ये खबर लिखते हुए जैसे कलेजा मुंह को आता है। हाथ कांपते हैं और दिल रोता है। भोपाल के मीडिया जगत के लिए कल का दिन निहायत अफसोस, मायूसी और सदमे से बावस्ता रहा। शहर के सीनियर सहाफी (पत्रकार) रमेश तिवारी साहब अपनी मुक्तसर सी अलालत के बाद दुनियाएं फानी से कूच कर गए। जब तक ये अफसोसनाक खबर आप पढ़ रहे होंगे तब तक पंडितजी पंचतत्व में विलीन हो चुके होंगे। दूसरी दुखभरी खबर सिनियर सहाफी गिरीश उपाध्याय के 28 बरस के जवान बेटे की मर्ग-ए-नागहानी (अचानक मृत्यु) की है। जिसने भी ये खबर सुनी वो सदमे में आ गया। तीसरी दुखभरी खबर भोपाल की जानी महिला पत्रकार ममता यादव की 15 साल की भतीजी प्रांजल की अचानक मौत की आई। ममता की इस भतीजी को हल्का इन्फेक्शन हाउस था। अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद वो ठीक भी हो गईं थी। ममता के अनुसार बच्ची खेलते खेलते अचानक बेहोश हुई और उसके प्राण पखेरू उड़ गए। बच्ची के माता पिता कई साल पहले गुजऱ चुके हैं। उस परिवार की जि़म्मेदारी ममता यादव ही उठाती हैं। उधर पत्रकार रमेश तिवारी साब ने इसी 29 जून को अपनी 72 वीं सालगिरह मनाई थी। हाई शुगर से जूझ रहे पत्रकार का इन्तेकाल कार्डियकअरेस्ट से हुआ। उनके कुनबे में बीवी के अलावा बेटा सौरभ, दो विवाहित बेटियां और भरापूरा परिवार है। सांची के रहवासी रमेश तिवारी कोई 53 बरस पहले भोपाल आये थे। यहां हमीदिया कालिज में उन्होंने तालीम हासिल करी। लिखने पढऩे के शौकीन रमेश तिवारी जी को पत्रकार विजयदत्त श्रीधर जी ने तब देशबंधु में मौका दिया। उस वक्त (1976 या 77) में ये अखबार इब्राहिमपुरा से शाया होता था।


इसके बाद आप कोतवाली से निकल रहे दैनिक भास्कर में आ गए। यहां ये सिटी चीफ हो गए। यहां इनकी टीम में सिद्धार्थ खरे और विश्वेशर शर्मा उर्फ विश्शू भैया और बाद में राजेश चंचल रिपोर्टर थे। विष्णु तरंगी साब पोलिटिकल रिपोर्टर हुआ करते थे। कोतवाली वाले दौर में रमेश तिवारी की सहाफत गोवर्धनदास मेहता, श्यामसुन्दर ब्यौहार और महेश श्रीवास्तव की सरपरस्ती में परवान चढ़ी। 1986 में रमेश तिवारी को किसी वजह से भास्कर छोडऩा पड़ा। बाद में इन्होंने भाई रतन कुमार के अखबार फिर नई राह को संभाला और अभी तक उसे शाया करते रहे। शुरुआत में पीर गेट के यासीन महल में इस अखबार का दफ्तर था। रमेश तिवारी को पुराने भोपाल और भोपालियों से बड़ी उन्सियत थी। कांग्रेस नेता ज़हीर अहमद, अशोक जैन भाभा, अर्जुन सिंह साब के करीबी यूनुस भाई, दीपचंद यादव, टीकाराम यादव, खालिद अलीम, भाजपा नेता लक्ष्मीनारायण शर्मा उनके बेहद अज़ीज़ रहे। पत्रकारों में उनकी रमेश शर्मा ओर जगत पाठक से खूब जमती। ये दोस्त पीर गेट की चाय की दुकानों पर या यासीन मन्जि़ल वाले दफ्तर में अक्सर जुटते। रमेश तिवारी की भारतीय आध्यात्म और दर्शन में गहरी दिलचस्पी थी। आपने ब्रह्मांड के रहस्य, क्षीरसागर शयनम, रावण और पौराणिक महिलाएं उनवान से किताबें लिखीं। उनकी कलम जितनी धारदार थी उतने ही वो गुस्से के भी तेज थे। कुतर्क करने और गलत काम करने वालों को वो सरेआम फटकार दिया करते।
उधर सीनियर पत्रकार गिरीश उपाध्याय के इकलौते फऱज़न्द आशय के दिल्ली में इन्तेकाल की खबर भोपाल में बेहद अफसोस के साथ सुनी गई। जिसे भी उसके यूं असमय चले जाने की खबर मिली वो सदमे में आ गया। आशय दिल्ली में ही मुलाज़मत करते थे। वहीं उनका अंतिम संस्कार किया गया। तीनों दिवंगत आत्माओं को अग्निबाण परिवार पुरनम आंखों से खिराजे अकीदत पेश करता है। ऊपरवाले से दुआ है कि वो परिजन को इस गम को बर्दाश्त करने की ताकत और सबरे जमील अता करे।

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