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    लाडली बहना के बहाने महापौर ने साधा शिवराज पर निशाना, तो नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री के खिलाफ ही निंदा प्रस्ताव की कर डाली मांग… तालाबों को ठेके पर देने पर भी मचा बवाल

  • February 16, 2024

    जय श्री राम के नारों से लगातार गूंजता रहा निगम परिषद् हॉल, चार करोड़ खर्च करने के बाद भी पहली ही बैठक में साउंड सिस्टम चौपट, चार माह का लेखानुदान भी कर दिया पारित, अब जुलाई में आएगा शेष ८ माह का बजट

    इंदौर। निगम परिषद् (Indore Nagar Nigam) का चमचमाता हॉल कल जय श्री राम के नारों से भी बार-बार गूंजता रहा, तो 4 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी साउंड सिस्टम चौपट रहा। सभापति-महापौर से लेकर सभी पार्षद परेशान हुए और माइक बार-बार बदलना पड़ा। महापौर ने जहां लाडली बहना (Ladli Behna Scheme) के बहाने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Former Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) पर निशाना साधा तो नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री (CM) के खिलाफ ही निंदा प्रस्ताव की मांग कर डाली। वहीं तालाबों को ठेके पर देने पर भी जमकर बवाल मचा। कांग्रेसी पार्षदों ने तो हल्ला मचाया ही, वहीं भाजपा पार्षद सुरेश कुरवाड़े ने भी इस पर आपत्ति जाहिर की। वहीं पीपीपी मॉडल को लेकर कांग्रेस पार्षद रुबीना खान ने अपने चीर-परिचित अंदाज में चुटकी ली और श्वान जी बोलने पर भी सदन में ठहाके लगे।


    महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने 1666 करोड़ का लेखा अनुदान मंजूर करवाया, क्योंकि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते निगम सालाना बजट पेश नहीं कर पाएगा। लिहाजा अप्रैल से जुलाई तक का लेखा अनुदान पास किया गया। अब चुनाव बाद जुलाई अंत में निगम शेष 8 माह का बजट लाएगा। महापौर ने निगम की माली हालत पर उठाए गए सवाल के जवाब में यह कहा कि लाडली बहना योजना के कारण चूंकि क्षतिपूर्ति का पैसा निगम को नहीं मिल सका। एक तरह से महापौर ने शिवराज पर भी निशाना साधा, क्योंकि यह जगजाहिर है कि जब तक शिवराज मुख्यमंत्री (Former Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) रहे, तब तक महापौर को उनकी अधिक तवज्जो नहीं मिल सकी और अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव उन्हें तवज्जो दे रहे हैं और विभागीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के भी वे प्रिय हैं ही। यही कारण है कि मुख्यमंत्री ने महापौर की बात मानकर निगम परिषद् हॉल का भी लोकार्पण किया। महापौर ने यह भी कहा कि 142 करोड़ रुपए चूंकि क्षतिपूर्ति के ही कम मिले हैं। दूसरी तरफ इसी मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने कहा कि शासन निगम के अधिकार का पैसा बार-बार मांगने पर भी नहीं दे रहा है और निगम पर 800 करोड़ रुपए से अधिक की राशि ही ठेकेदारों की ही बकाया हो गई है। श्री चौकसे ने यह भी कहा कि यह परिषद् दलगत राजनीति से ऊपर उठकर मुख्यमंत्री के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाए। हम सभी साथ देंगे। हालांकि इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं आया। दूसरी तरफ निगम के अधिकांश प्रोजेक्टों को पीपीपी मॉडल पर दिए जाने का विरोध कांग्रेस पार्षद रुबीना खान ने किया। उन्होंने चुटीले अंदाज में कुत्तों की नसबंदी की बात भी रखी और आदरणीय श्वान जी कहकर जब अपना भाषण शुरू किया तो सदन में ठहाके भी लगे। हालांकि अधिकांश प्रस्तावों पर कांग्रेस और भाजपा पार्षद आमने-सामने होते रहे। तालाबों को पीपीपी मॉडल पर देने पर भी हल्ला मचा और कांग्रेस पार्षद दल ने इसका विरोध किया। वहीं सभापति को पुराने चावल कहने पर भाजपा पार्षदों के साथ महापौर भी नाराज हुए। महापौर ने हालांकि खड़े होकर पीपीपी मॉडल की अवधारणा भी समझाई। फौजिया शेख अलीम ने कुत्तों की नसबंदी में हुए फर्जीवाड़े से लेकर जोनों की संख्या 22 करने और उससे जो विसंगति होगी उसका मामला उठाया और इसे लेकर याचिका भी दायर की है, जिस पर महापौर सहित सदस्यों ने जवाब दिया कि यहां जवाब देने के बजाय कोर्ट में ही कहेंगे। सुबह पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ताई भी सम्मेलन में शामिल होने पहुंची और सांसद शंकर लालवानी, विधायक रमेश मेंदोला व अन्य भी मौजूद रहे।

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