नई दिल्ली (New Delhi)। सावन में कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra in Sawan) के दौरान हरिद्वार से दिल्ली Haridwar to Delhi) के बीच पड़ने वाले यात्रा मार्ग पर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार (Government of Uttarakhand and Uttar Pradesh) के खाद्य सामग्री बेचने वालों को अपनी पहचान घोषित करने के आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिन पर सोमवार को सुनवाई होनी है. इस मुद्दे पर अब तक टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, प्रोफेसर अपूर्वानंद और आकार पटेल के साथ-साथ एक एनजीओ ने भी अर्जी दाखिल की है।
प्रोफेसर अपूर्वानंद और आकार पटेल ने यूपी और उत्तराखंड सरकार के उस निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें सावन में कांवड़ मार्ग पर खाद्य सामग्री बेचने वाले सभी दुकानदारों को दुकान के बाहर मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया है।
‘बुनियादी अधिकारों का उल्लघंन करता है आदेश’
याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्य सरकारों द्वारा जारी निर्देश संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 17 के तहत नागरिकों को दिए बुनियादी अधिकारों को प्रभावित करते हैं. यह मुस्लिम पुरुषों के अधिकारों को भी प्रभावित करता है जो अनुच्छेद 19(1)(जी) का उल्लंघन है, क्योंकि इस आदेश से उनके रोजी रोटी पर असर पड़ेगा।
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी निर्देशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. इन निर्देशों में कांवड़ यात्रा के मार्ग पर स्थित सभी खान-पान प्रतिष्ठानों के मालिकों को अपने नाम, पते और मोबाइल नंबर के साथ-साथ अपने कर्मचारियों के नाम सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करना होगा. याचिका में कहा गया है, “तीर्थयात्रियों की खान-पान संबंधी प्राथमिकताओं का सम्मान करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के कथित लक्ष्य के साथ जारी किए गए ये निर्देश स्पष्ट रूप से मनमाने हैं, बिना किसी निर्धारण सिद्धांत के जारी किए गए हैं. कई संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के राज्य के दायित्व को समाज के सबसे कमजोर और हाशिए पर पड़े वर्गों पर थोपते हैं।
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