खजुराहो: खजुराहो (Khajuraho) में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की प्रत्याशी मीरा यादव (Meera Yadav) का नामांकन निरस्त (nomination canceled) होने का मामला कोर्ट (Court) पहुंच सकता है. समाजवादी पार्टी ने पूरे मामले को कोर्ट ले जाने की बात कही है. हालांकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) इस पूरे मामले में चुटकी ले रही है. बीजेपी के नेताओं का कहना है कि गलती प्रत्याशी करें और इसका ठीकरा बीजेपी सरकार पर फोड़ा जाए, यह गलत है.
समाजवादी पार्टी की मीरा यादव का नामांकन निरस्त
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की चर्चित खजुराहो लोकसभा सीट (Lok Sabha Seat) पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा दूसरी बार अपना भाग्य आजमा रहे हैं. इस लोकसभा सीट पर इंडिया गठबंधन की ओर से समाजवादी पार्टी की मीरा यादव को मैदान में उतरा गया था. समाजवादी पार्टी के टिकट पर मीरा यादव ने नामांकन भी दाखिल किया, मगर जांच पड़ताल के दौरान नामांकन में त्रुटि होने की वजह से उसे निरस्त कर दिया गया. बताया जाता है कि मीरा यादव के नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर नहीं थे.
सपा प्रवक्ता ने लगाया ये आरोप
इस मामले में समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता यश भारती का कहना है कि जब किसी व्यक्ति के पास न्यायालय में अपना पक्ष रखने के लिए अभिभाषक नहीं होता है तो न्यायालय की ओर से दोषी को भी वकील मुहैया कराया जाता है. इसके अलावा जांच पड़ताल के दौरान यदि कोई छोटी गलती भी निकलती है तो निर्वाचन अधिकारी को अधिकार है कि वह प्रत्याशी को गलती से अवगत कराए. जब मीरा यादव ने अपना नामांकन जिला निर्वाचन अधिकारी को दिया था उस समय निर्वाचन अधिकारी की जिम्मेदारी थी कि वे नामांकन को सही ढंग से एक बार देख लेते. यदि ऐसा होता तो उस समय हस्ताक्षर की गलती पकड़ी जाती.
बीजेपी सरकार पर सपा ने लगाया आरोप
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता यश भारती ने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार अपने मशीन तंत्र का उपयोग करते हुए विरोधी पार्टियों को चुनाव लड़ने से भी वंचित कर रही है. उन्होंने कहा कि इस मामले को न्यायालय में ले जाया जाएगा. यश भारती ने कहा कि मीरा यादव विधायक भी रह चुकी है. इसके अलावा उनके पति भी तीन बार विधायक रह चुके हैं.
प्रत्याशी की गलती का ठीकरा भी बीजेपी सरकार पर
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजपाल सिंह सिसोदिया के मुताबिक, खजुराहो में गठबंधन की प्रत्याशी मीरा यादव ने त्रुटी करते हुए गलत नामांकन दाखिल कर दिया, जिसकी वजह से उनका नामांकन निरस्त हो गया. अब इस बात का ठीकरा प्रदेश सरकार पर फोड़ना गलत है.
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