उज्जैन। कोरोना से पूरा शहर कल अनलॉक हो गया, लेकिन शहर के कुछ गैरजवाबदाराना लोगों ने फिर से लापरवाही शुरू कर दी। कल शहर के बाजारों में अधिकांश लोग बिना मास्क के नजर आए तो फ्रीगंज और छत्रीचौक की दुकान पर भी लोग दुकान से खाने-पीने के सामान लेकर वहीं खाने लगे, जबकि दुकान के 100 मीटर के क्षेत्र में खाने पर पाबंदी है। नगर निगम की टीम कुछ बाजारों में चालान के बजाय उठक-बैठक लगवाते दिखी तो कई लापरवाह अपने बच्चों को बिना मास्क के ही बाजार में घुमाने निकल गए।
करीब डेढ़ माह पहले ही जब शहर में कोरोना संक्रमण से हाहाकार मचा था, तब लोग घरों में दुबके हुए थे। इसके बाद जब संक्रमितों का आंकड़ा कम होने लगा तो चारों ओर से शहर को खोलने की मांग उठने लगी। 1 और 7 जून से शहर को धीरे-धीरे छूट मिलने लगी और कल से कुछ सीमित गतिविधियों को छोड़कर शहर को अनलॉक कर दिया गया, लेकिन लापरवाह लोग भूल बैठे कि जिला प्रशासन ने हमें छूट दी है, कोरोना ने नहीं। अगर हमारी लापरवाही से शहर एक बार फिर संक्रमण की चपेट में आ गया तो परिणाम फिर बुरे हो सकते हैं। सबकुछ समझने के बावजूद कल शहर के बाजारों और कालोनियों में ऐसे नजारे नजर आए, जहां लोग मास्क निकालकर आराम से घूम रहे थे, मानो पूरे देश से कोरोना की समाप्ति हो गई हो। शुरुआत हुई सुबह की सैर पर निकलने वाले लोगों से, जो पैदल और साइकिल से घूम रहे थे, लेकिन नाम के लिए मास्क लगा रखा था। वहीं दिन में खुले बाजारों में लोग खरीदारी करने पहुंचे और बिना मास्क के ही दुकानों पर पहुंच गए। बिना मास्क घूमने वालों में अधिकांश युवा थे, जो बाइक पर घूम रहे थे। वहीं बुजुर्ग लोगों ने भी ध्यान नहीं दिया। हालांकि पहले दिन किसी प्रकार की सख्ती नजर नहीं आई।
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