वाकई गेमचेंजर साबित हुई मुख्यमंत्री की योजना, कांग्रेस जनआक्रोश के मुगालते में ही रह गई… भरपूर पब्लिसिटी का भी मिला लाभ
इंदौर, राजेश ज्वेल। भाजपा (BJP) जिस योजना को गेम चेंजर मान रही थी। आज जनता के फैसले ने उसे सही साबित कर दिया। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) की लाड़ली बहना योजना (Laadli Bahana Yojana) सुपर हिट (Super Hit) साबित हुई और एग्जिट पोल के अनुमान के मुताबिक प्रदेश में भाजपा की सरकार स्पष्ट बहुमत के साथ बन रही है। अभी जो रुझान 230 सीटों पर चल रहे हैं, उसमें लगभग 150 सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों ने बढ़त बना रखी है और कांग्रेस का तमाम दावों के बावजूद अत्यंत दयनीय प्रदर्शन नजर आ रहा है और उसके उम्मीदवार 80 से कम सीटों पर आगे चल रहे हैं। एक तरह से भाजपा में शिवराज की फिर बल्ले-बल्ले हो गई और लाड़ली बहना को लेकर जो जबरदस्त पब्लिसिटी की गई, उसका फायदा इस चुनाव में साफ मिलता रहा है।
विधानसभा चुनाव की शुरुआत में भाजपा के दिल्ली दरबार ने मध्यप्रदेश के चुनाव की कमान अपने हाथ में ले ली। हालांकि उसका भी फायदा हुआ और तीन केन्द्रीय मंत्रियों के साथ 7 सांसदों को चुनाव लड़वाया और एमपी के मन में मोदी है, का नारा भी खूब गुंजाया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को केन्द्र में रखकर भाजपा ने चुनाव लड़ा। हालांकि मोदी को भी अपनी बाद की चुनावी सभाओं में लाड़ली बहना का लोहा मानना पड़ा और उन्होंने इस योजना का खुद भी प्रचार किया और भाजपा के सारे दिग्गज नेताओं ने लाड़ली बहना पर ही बाद के चरणों में चुनाव प्रचार का फोकस रखा। जिस तरह से शिवराज सरकार ने लाड़ली बहना का आक्रामक प्रचार-प्रसार किया और गली-मोहल्लों से लेकर गांव-गांव और शहर के हर वार्ड में लाड़ली बहनाओं के शिविर आयोजित किए, जिसमें भारी भीड़ नजर आई और शिवराजसिंह चौहान को भी महिलाओं ने खूब पसंद किया और कई वीडियो और फोटो सामने भी आए, जिसमें लाड़ली बहनाएं शिवराज से लिपटीं और उन्हें स्नेह देती नजर आईं। शासन के जनसम्पर्क विभाग ने भी जिस तरह लाड़ली बहना की ब्रांडिंग की वह भी सटीक निशाने पर लगी और एकतरफा जो भाजपा का परचम पूरे प्रदेश में लहरा रहा है। उसमें इस योजना ने ही वाकई गेम चेंजर की भूमिका निभाई। भाजपा के दिल्ली दरबार ने भले ही मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को साइड करने के प्रयास किए हो, मगर बाद के चरणों में उनको भी प्रमुखता मिली और जो टिकटें चौथे और पांचवें दौर में भाजपा ने बांटी, उसमें भी अधिकांश शिवराज सिंह के ही उम्मीदवार थे, जो आज चुनाव जीत भी रहे हैं। अग्निबाण ने भी पूर्व में यह भविष्यवाणी की थी कि अगर लाड़ली बहना गेम चेंजर साबित हुई तो संभव है कि प्रदेश की कुर्सी फिर शिवराजसिंह चौहान को ही भाजपा आलाकमान सौंपने को मजबूर हो जाए, क्योंकि 6 महीने बाद लोकसभा के बड़े चुनाव होना है और जिस तरह आज भाजपा के पक्ष में शिवराज की बदौलत परिणाम आ रहे हैं, उससे यही लगता है कि मध्यप्रदेश के एकमात्र और सफल चेहरे शिवराजसिंह चौहान ही हैं, जिन्होंने इस चुनाव में भी सबसे अधिक 160 से अधिक सभाएं लीं। कांग्रेस सिर्फ मुगालते में रह गई और उसका भरोसा था जो जनाक्रोश है, यानि एंटी इन्कम्बेंसी, उसका फायदा उसे मिलेगा। मगर कांग्रेस का यह अनुमान जनता-जनार्दन ने पूरी तरह से नकार दिया और एंटी इनकम्बेंसी ऐसा लगता है, मानो विपक्ष यानि कांग्रेस के खिलाफ रही और यही कारण है कि उसके इंदौर सहित प्रदेश के कई बड़े नेता चुनाव हार रहे हैं।
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