मथुरा: मथुरा (Mathura) को हिंदुओं के सबसे चहेता स्थल माना जाता है क्योंकि यह श्री कृष्ण भगवान की जन्मस्थली (Birthplace of Lord Krishna) है. जन्माष्टमी (Janmashtami 2023) हो या रास लीला या फिर होली, यहां सभी पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाए जाता हैं. मथुरा भारत के पवित्र स्थलों (holy places in india) में से एक माना गया है. ब्रजमंडल जहां पर भगवान श्रीकृष्ण का बचपन बीता था और जहां पर उन्होंने अपनी लीलाएं दिखाई थीं, उसका बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व माना गया है. पुराणों के अनुसार कृष्ण का जन्म मथुरा की जेल में हुआ था. उसके बाद उनका पूरा बचपन गोकुल और वृंदावन में ही व्यतीत हुआ. यही कारण है कि ब्रजभूमि हमेशा से ही धर्म और अध्यात्म का केंद्र बनी रही है और इस पावन भूमि के दर्शन के लिए लोग देश-विदेश से पहुंचते हैं.
आज पूरे देश में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम मची हुई है. हर राज्य, हर शहर और देश का हर कोना भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन है. कृष्ण जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं. यहां पर ऐसे अनेक स्थान हैं जहां पर कान्हा के दर्शन और पूजन का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. मान्यता है कि ब्रजमंडल के इन पवित्र मंदिरों में किस्मत वालों को राधा-कृष्ण के दर्शन होते हैं. आइए ब्रजमंडल के 5 प्रमुख मंदिरों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर, मथुरा जिले में स्थित है. यह वही स्थान है जहां भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया था. सारे मंदिरों में इस मंदिर को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है. इस मंदिर की स्थापना जेल की कोठरी के चारों ओर की गयी है. हिंदू धर्म में इस मंदिर का बहुत महत्व है. ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर राजा वीर सिंह बुंदेल द्वारा निर्मित है, जो भगवान कृष्ण के वंशज थे. मान्यता है कि इसी स्थान पर कभी भगवान कृष्ण ने जन्म लिया था. यहां पर दर्शन के लिए आप सुबह 5 बजे से दोपहर के 12 तक और शाम 4 से रात 9 बजे तक जा सकते हैं.
प्रेम मंदिर एक अत्यंत दिव्य मंदिर है. इस दिव्य मंदिर को श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम का प्रतीक माना जाता है. यह मंदिर साल 2001 में कृपालुजी महाराज द्वारा स्थापित किया गया था. प्रेम मंदिर अपनी भव्यता और सुंदरता के लिए जाना जाता है. यह मंदिर 54 एकड़ की जमीन में बना हुआ है. मथुरा-वृंदावन की यात्रा में जाने वाला व्यक्ति बगैर इस मंदिर के दर्शन के नहीं लौटता है. शाम के समय रंग-बिरंग रोशनी में सफेद संगमरमर वाला यह मंदिर अधिक सुंदर दिखाई देता है. प्रेम मंदिर में आप सुबह 8:30 से दोपहर 12 बजे तक और शाम 4:30 से रात 8:30 तक जा सकते हैं.
भारत का यह द्वारकाधीश मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध एवं ऐतिहासिक स्थल है. इस मंदिर को भगवान श्री कृष्ण को समर्पित माना जाता है. श्रीकृष्ण अपने बचपन के बाद द्वारका में आकर बस गए थे और उनकी मृत्यु भी यहीं हुई थी, इसलिए इस मंदिर का नाम द्वारकाधीश मंदिर पड़ा. इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1814 में हुआ था. इस मंदिर में कृष्ण की प्रतिमा काले मार्बल से बनाई गयी है और उसी के बराबर में सफ़ेद मार्बल से राधा की प्रतिमा बनाई गयी है. यह मंदिर अपनी वास्तुकला और चित्रों के कारण पूरे देश में सबसे प्रसिद्ध है. जन्माष्टमी के अवसर पर यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं. द्वारकाधीश मंदिर में दर्शन करने का समय सुबह 6:30 से दोपहर 10:30 तक और शाम 4:30 से रात 7 बजे तक है.
वृंदावन में स्थित इस्कॉन मंदिर कृष्ण भक्तों का एक प्रमुख केंद्र है. इसकी स्थापना 1975 में की गई थी. इस्कॉन मंदिर को श्रीकृष्ण बलराम का मंदिर भी कहा जाता है. यह मंदिर संगमरमर से बना हुआ है जिसका निर्माण भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने करवाया था. वृंदावन में स्थित इस मंदिर में दर्शन के लिए लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. जन्माष्टमी के मौके पर यहां कान्हा के भक्तों की भारी भीड़ जमा होती है. आप यहा पर सुबह 4:30 बजे से लेकर दोपहर 1 बजे तक, साथ ही शाम का समय 4:30 से रात 8:30 तक दर्शन के लिए जा सकते हैं.
बांके बिहारी मंदिर वृंदावन के प्राचीन मंदिरों में से एक है. इस मंदिर वृंदावन को सात ठाकुर मंदिरों में से एक माना जाता है. श्री कृष्ण जी को बांके बिहारी के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर श्री राधावल्लभ मंदिर के पास तंग गलियों के बीच है. श्रीकृष्ण की एक मूर्ति को देखने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है.बांके बिहारी मंदिर का मुख्य द्वार पीले-भूरे रंग से डिजाइन किया गया है, यही द्वार वृंदावन का मुख्य आकर्षण केंद्र है.
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