रांची | 14 अगस्त से झारखंड का प्रतीक चिन्ह बदल जाएगा । कल बाजाब्ता नये प्रतीक चिन्ह का अनावरण होना है जिसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी है। गुरूवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राजभवन पहुंच कर राज्य सरकार के नए प्रतीक चिन्ह के अनावरण कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रित किया।
मालूम हो कि वर्ष 2000 में झारखंड अलग राज्य बनने के बाद से अबतक जिस प्रतीक चिन्ह का इस्तेमाल हो रहा था उसमें स्वास्तिक चिन्ह बना हुआ था । झारखंड का नया राज्य चिन्ह का विन्यास वृत्ताकार है जो राज्य की प्रगति का प्रतीक है। वृत्तीय आकार के प्रतीक चिह्न में सबसे पहले बाहर की तरफ गोलाई में झारखंड सरकार लिखा है। इसके बाद हाथी है। फिर पलाश के फूल हैं। इसके बाद सौरा चित्रकारी दिखाई देगी। वृत के मध्य में अशोक स्तंभ है।
नये प्रतीक चिन्ह की विशेषता
हरा रंग: झारखंड की हरी.भरी धरती और वन संपदा को प्रतिबिंबित करता है
हाथी: राज्य के ऐश्वर्य और प्रचूर प्राकृतिक संसाधनों और समृद्धि को दर्शाता है
पलाश का फूल: प्राकृतिक सौंदर्य का परिचायक है
सौरा चित्रकारी: राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रतिबिंबित करता है
अशोक स्तंभ: राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न होने के साथ ही उपबंधित शक्तियों के साथ राज्य की संप्रभुता शक्ति का ध्योतक है और देश के विकास में झारखंड की भागीदारी को भी प्रदर्शित करता है
बीच में अशोक चक्र, उसके चारों तरफ झारखंड की पारंपरिक सौरा चित्रकारी, उसके बाद झारखंड की पहचान लिए पलाश के फूल, समृद्धि और वैभव का प्रतीक राजकीय पशु हाथी, प्रतीक चिन्ह में हरा रंग का प्रयोग अधिक, लोगों गोलाई लिए हुए।
पुराने प्रतीक चिन्ह में क्या था
बीच में नीले रंग का अशोक चक्र, चौतरफा अंग्रेजी के जे अक्षर से घिरा, लोगो हरे रंग का और स्वास्तिक वर्गाकार था।
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