उज्जैन। कार्तिक मेला मंच पर हर वर्ष स्थानीय शायरों के लिए भी मुशायरा का आयोजन नगर निगम करता है। इस बार आयोजन में 60 शायरों को आमंत्रित किया गया था, परंतु समय सिर्फ 2 घंटे का था। इससे शायर नाराज हो गए। कार्तिक मेला में विगत 40 वर्षों से परंपरागत हो रहे मुशायरे के निरस्तीकरण को लेकर एक प्रतिनिधि मंडल अभा रूहानी अकादमी के संस्थापक हाजी सैयद मो. नूर की अगुवाई में कलेक्टर आशीषसिंह से मिला तथा बिना किसी ठोस कारण के नगर निगम द्वारा स्थानीय मुशायरे को निरस्त करने को लेकर शायरों में उपजे असंतोष से अवगत कराया। ज्ञापन संभाग आयुक्त के प्रतिनिधि को भी सौंपा। तत्पश्चात प्रतिनिधिमंडल ने अंशुल गुप्ता से मुशायरे के अचानक निरस्तीकरण को लेकर विस्तृत चर्चा की।
निगमायुक्त ने मुशायरे के निमंत्रण पत्र की जानकारी भी उन्हें नहीं थी एवं नगर ही के उर्दू साहित्य जगत के तथाकथित व्यक्तियों के द्वारा उन्हें मिसगाइड किया गया एवं असत्य एवं भ्रामक जानकारी उन्हें दी गई। जिसके नतीजे में विगत 40 वर्षों से परंपरा अनुसार आयोजित होते आ रहे स्थानीय मुशायरे पर ग्रहण लग गया। निगम आयुक्त ने प्रतिनिधिमंडल की बातों का संज्ञान लेते हुए विश्वास दिलाया की जिन लोगों ने भी मुशायरे को लेकर भ्रांति फैलाई है और वास्तविक साहित्यकारों को इस मुशायरे से दूर रखने की साजिश रची है उन पर ठोस कार्रवाई की जाएगी । नगर के साहित्यकारों से विचार विमर्श के बाद ही मुशायरे की सूची तय की जाएगी। प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई हाजी सैयद मो. नूर ने की। प्रतिनिधि मंडल में नॉवेल निगार, अनुवादक आली मेहमूद अहमद सहर, मश्अरूफ़ शायर, नज़्म गो, नस्र निगार सहाफ़ी मुअर्रिख़, कलीम जावेद, एवं मश्अरूफ़ शायर नस्र निगार उस्ताद शायर अफऱोज सहर सम्मिलित रहे। अधिकारियों से मुलाकात से पहले कार्तिक मेला स्थानीय मुशायरे के रद्द होने को लेकर फैले असंतोष को देखते हुए एक मीटिंग का आयोजन भय्यू भाई फ़लक, समर कबीर, इमरोज़ हक के द्वारा किया गया। जिसकी अध्यक्षता महमूद अहमद सहर के द्वारा की गई। जिसमें शहर के लगभग 35 शायरों ने हिस्सा लिया और स्थानी मुशायरे के रद्द होने को लेकर सभी शायरों ने नाराजगी और ग़ुस्से से अपने विचार प्रकट किए।