इन्दौर। इन दिनों मामा फॉम में हैं तो अधिकारी भी हर कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं। पेसा एक्ट लागू होने के बाद मुख्यमंत्री का यह पहला बड़ा कार्यक्रम आदिवासियों के बीच है। इसको लेकर बार-बार बैठकों के दौर के बाद जनप्रतिनिधियों को भी बराबरी से तवज्जो दी गई। कहीं कोई चूक न हो जाए और कहीं वे मामा के गुस्से की बलि न चढ़ जाए, इसको लेकर अलसुबह से ही आदिवासी जिलों के अधिकारियों ने मोर्चा संभाल लिया और वहां से आदिवासियों को भेजना भी शुरू कर दिया।
कल मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान अचानक डिंडोरी जिले के शाहपुरा पहुंच गए थे और वहां एक के बाद एक 6 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया। इसके पहले वे बैतूल के चिंचोली में बड़े स्तर के 4 अधिकारियों को सस्पेंड कर चुके हैं। इसके बाद ही आज उनका इंदौर दौरा है और वे आदिवासियों से संबंधित तीन कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं। आदिवासियों के लिए शुरू की सरकार की योजनाओं का कितना लाभ उन्हें मिल रहा है, इसका फीडबैक भी मुख्यमंत्री कार्यालय ने बुलवा लिया था। इंदौर के आसपास के आदिवासी अंचलों के अलावा झाबुआ, आलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन, खंडवा, धार आदि जिलों के आदिवासी इस आयोजन में इंदौर में जुटेंगे।
चूंकि भाजपा की चुनावी कसरत शुरू हो चुकी है और भाजपा ऐसा कोई भी मौका नहीं छोडऩा चाहती है, जिससे वह अपने आपको आदिवासियों का हितैषी बताए। मुख्यमंत्री इंदौर आ रहे हैं जो विशेषकर अजजा वर्ग से संबंधित सभी विभाग अलर्ट पर है। मुख्यमंत्री ने जो जानकारी मंगाई थी, उसके आधार पर वे आदिवासियों से पूछताछ कर सकते हैं कि उन्हें योजनाओं का फायदा मिल पा रहा है या नहीं। भाजपा पहले ही आदिवासी अंचलों में पिछड़ी है और इस बार वह मान चुकी है कि आदिवासी बेल्ट अगर उसके हाथ से जाता है तो सत्ता तक पहुंचने का रास्ता कठिन हो जाएगा, इसलिए पूरी कवायद एक साल पहले से ही शुरू कर दी गई है, ताकि आदिवासी वोट बैंक को प्रभावित किया जा सके।
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