नई दिल्ली। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (sheikh hasina) की अवामी लीग (एएल) पार्टी की छात्र शाखा बांग्लादेश छात्र लीग (बीसीएल) के नेता अंतरिम सरकार (interim government) की कार्रवाई का शिकार हो रहे हैं। 15 वर्षों तक बांग्लादेश में शासन (Governance in Bangladesh) करने वाली इस पार्टी को इस साल अगस्त में एक छात्र आंदोलन (student movement) का सामना करना पड़ा, जिसमें उनकी सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया गया। शेख हसीना को पीएम पद से इस्तीफा देने के बाद देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। बांग्लादेश छात्र लीग (बीसीएल) के कम से कम 50,000 छात्र सहयोगियों को अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। कॉलेज कैंपसों में अवामी लीग के खिलाफ हिंसा की लहर दौड़ रही है।
23 अक्तूबर को नोबल पुरस्कार विजेता मेहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने बीसीएल पर प्रतिबंध लगा दिया और इसे आतंकवादी संगठन करार दिया। बांग्लादेश के गृह मंत्रालय के अनुसार, बीसीएल का देश में पिछले 15 वर्षों से दुराचार का रिकॉर्ड रहा है, जिसमें हिंसा, उत्पीड़न और सरकारी संस्थानों का शोषण शामिल है। एक अंडरग्रेजुएट केमिस्ट्री के छात्र ने मीडिया से बात की। उन्होंने कहा, “अभी कुछ समय पहले मैं यहां अधिकार की आवाज था। अब मैं एक भगोड़े की तरह यहां से वहां भाग रहा हूं जिसका कोई भविष्य ही नहीं है। ऐसा केवल एक मामला नहीं है। उनके जैसे सभी छात्र सहयोगी, जिनका बांग्लादेश में कॉलेज परिसरों में मजबूत पकड़ थी, अब बुरी तरह से टूट चुकी है।”
बता दें कि बांग्लादेश में जुलाई में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ। दरअसल, कॉलेज के छात्रों ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रणाली को खत्म करने की मांग की। उन्होंने इस आरक्षण प्रणाली को सत्ताधारी पार्टी के समर्थकों के पक्षधर में बताया। हालांकि, बांग्लादेश की शीर्ष अदालत ने आरक्षण को रद्द कर दिया और यह विरोध प्रदर्शन प्रधानमंत्री सेख हसीना के शासन को हटाने के लिए एक व्यापक आह्वान में बदल गया।
एक छात्र ने मीडिया को बताया कि उन्होंने विरोध प्रदर्शन के खिलाफ सरकार की कार्रवाई में हिस्सा नहीं लिया। उन्होंने कहा, मेरी बहनें इस विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थी। मैं भी इसमें विश्वास करता था, लेकिन पार्टी के दायित्व में फंस गया था। अब प्रतिबंधित पार्टी में उनके शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा, “मैं एक होनहार छात्र था, मुझे राजनीति की कोई परवाह नहीं थी। लेकिन ढाका यूनिवर्सिटी में हॉल में होने वाली राजनीति से बचा नहीं जा सकता था। आपको या तो उसमें शामिल होना पड़ेगा या भी आपको जूझना पड़ेगा।” उन्होंने स्वीकार किया कि बीसीएल नेता होने से सरकारी नौकरी पाने की उनकी संभावनाएं बेहतर होंगी।
पांच अगस्त को प्रदर्शनकारियों ने सरकारी इमारतों पर धावा बोल दिया, जिसे देखते हुए शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा। हालांकि, हसीना सरकार के गिरने के बाद भी हिंसा समाप्त नहीं हुई। इसमें अब अवामी लीग के सैकड़ों राजनेताओं को निशाना बनाया गया। आवामी लीग के कई सदस्यों को भागने के दौरान हिरासत में लिया गया। आवामी लीग के अनुसार, देश में उनके 50,000 सहयोगी फिलहाल संकट में हैं।
18 अक्तूबर को राजशाही यूनिवर्सिटी की बीसीएल नेता शहरीन अरियाना को गिरफ्तार किया गया। उनके परिवार वालों ने बताया कि शहरीन के खिलाफ फर्जी आरोप लगाए गए हैं। फाइनल परीक्षा में बैठने के दौरान उन्हें हिरासत में ले लिया गया था। इसी दिन बीसीएल के एक और नेता सैकत रायहान को भी गिरफ्तार किया गया था। अवामी लीग के छात्रों के खिलाफ हिंसा की लहर पूरे कैंपस में दौड़ गई।
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