कीव । रूसी हमले (Russian attacks) की आशंका के बावजूद यूक्रेन (Ukraine) की बड़ी आबादी (Large Population) का जीवन सामान्य तरीके से चल रहा है। बाजार खुल रहे हैं, लोगों की भीड़ उनमें जा रही है। स्कूल-कालेज और कार्यालय भी सामान्य रूप से खुल रहे हैं। जनमानस में रूस का हमला होने की चर्चा है तो उससे मुकाबला करने का जज्बा भी महसूस किया जा सकता है। लेकिन आर्थिक मंदी (Economic Recession) का खतरा भी तेजी से सिर उठा रहा है। लोगों की प्राथमिकता जरूरी सामान खरीदना और तात्कालिक कार्यो को पूरा करना है। लंबी योजनाओं पर फिलहाल काम बंद है।
यूक्रेन की राजधानी कीव में पाव्लो कालियुक विदेशियों को रहने और काम करने के लिए स्थान मुहैया कराते हैं। बदले में उन्हें कमीशन के रूप में अच्छी धनराशि मिल जाती है। उनकी सेवा लेने वालों में ज्यादातर लोग अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और इजरायल के हैं। अब धंधा मंद पड़ने से वह चिंता में हैं। चूंकि तनाव बढ़ने से विदेशी लोग यूक्रेन छोड़कर जा रहे हैं, इसलिए पाव्लो का धंधा मंदा पड़ गया है। उन्होंने बताया कि उनके कुछ सौदे इसलिए अधर में लटक गए हैं क्योंकि लोगों को अब यह नहीं पता कि कल क्या होने वाला है। इसके चलते लक्जरी अपार्टमेंट की कीमत और किराया कम हो गया है।
सीमा पर रूस समर्थित विद्रोहियों के लड़ाई शुरू हो चुकी है और रूस के हमले का अंदेशा है। ऐसे आशंका वाले माहौल में तात्कालिक जरूरतों को ही पूरा किया जा रहा है, लंबे समय की योजना से लोग कोई काम नहीं कर रहे। कीव स्कूल आफ इकोनोमिक्स के प्रमुख तिमोफी माइलोवानोव कहते हैं कि यह स्थिति करीब छह हफ्ते से बनी हुई है। इससे पहले कोरोना संक्रमण से मुश्किलें बढ़ी हुई थीं। अगर आशंका वाला माहौल आगे भी बना रहता है तो यूक्रेन के मंदी के भंवर में फंसने का खतरा है। क्योंकि इस माहौल में यूक्रेन अरबों डालर खो चुका है। कारोबार और नौकरियों को बड़ा नुकसान हो चुका है। आशंकाएं कायम रहने से विदेशी कारोबार, पर्यटन, होटल, निवेश सब-कुछ प्रभावित होना तय है।
उल्लेखनीय है कि देश-विदेश की कई एयरलाइन कंपनियां इस माहौल में अपनी सेवाएं बंद कर चुकी हैं या उन्हें बहुत कम कर चुकी हैं। सरकार ने भी उन्हें सावधानी बरतने के लिए कहा है। बीते दिनों में यूक्रेन के सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों पर बड़े साइबर हमले हुए हैं। इससे भी सरकारी कामकाज और कारोबार पर असर पड़ा है।
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