इंदौर। इंदौर (Indore) में आखिरकार भाजपा जिलाध्यक्ष (BJP District President) की नियुक्ति हो गई। संगठन को इसके लिए सबसे ज्यादा मशक्कत करना पड़ी। दौड़ में आधा दर्जन से ज्यादा नेता शामिल थे, लेकिन मौका मिला सुमित मिश्रा और श्रवण सिंह चावड़ा (Sumit Mishra and Shravan Singh Chawda) को। नगर अध्यक्ष बनने से वंचित नेता अब संगठन से निगम मंडलों में पद देने पर दबाव बना सकते है। अभी तक सरकार ने कई निगम-मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियां नहीं की है। इंदौर विकास प्राधिकरण के राजनीतिक बोर्ड में जाने के लिए कई नेता प्रयास कर रहे है।
अध्यक्ष पद के लिए दीपक जैन टीनू, मुकेश राजावत और नानूराम कुमावत ने भी जोर लगाया था। अब संगठन इंदौर विकास प्राधिकरण में इन नेताओं को एडजेस्ट कर सकता है। अध्यक्ष के अलावा दो उपाध्यक्ष सहित दस लोगों को राजनीतिक बोर्ड प्राधिकरण में रहता है। डेढ़ साल से अभी राजीनिक नियुक्तियां प्राधिकरण में नहीं हुई है। इसके अलावा हाऊसिंग बोर्ड, नेहरु युवा केंद्र सहित अन्य मंडलों के पदों पर भी अब जल्दी ही सरकार नियुक्ति कर सकती है।
नगर अध्यक्ष पद पर सुमित मिश्रा काबिज हो गए, लेकिन सभी गुटों को साधना और उनका विश्वास अर्जित करना उनके लिए चुनौती होगा। मिश्रा की गिनती विजयवर्गीय गुट में होती है। जाहिर सी बात है कि मिश्रा का इस गुट के प्रति झुकाव रहेगा, लेकिन दूसरे गुटों को नहीं साधा तो फिर विरोधियों की टीम तैयार होने में देर नहीं लगेगी।
दस वर्षों में इंदौर में बने नगर अध्यक्षों ने विधानसभा चुनाव में टिकट की दावेदारी भी की, लेकिन सभी को मौका नहीं मिला। दावेदारी के कारण विधायकों को जब खतरा महसूस होने लगता है तो फिर वे नगर अध्यक्षों को सहयोग नहीं करते। मिश्रा को इससे भी बचना होगा। पूर्व अध्यक्ष गौरव रणदिवे ने भी इंदौर के तीन विधानसभा क्षेत्रों से टिकट मांगे थे। उन्हें टिकट तो नहीं मिला, लेकिन विधायकों ने उन्हें रिपीट होने की राह भी मुश्किलें पैदा कर दी थी।
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