नई दिल्ली। विज्ञान की दृष्टि से तो सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) एक महत्वपूर्ण घटना है ही, साथ ही धार्मिक दृष्टि से भी यह घटना विशेष महत्व रखती है। ज्योतिष शास्त्र (Astrology) के अनुसार सूर्य ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) निकलती है, जिसका प्रभाव हमारे व्यक्ति के ऊपर भी पड़ सकता है। हालांकि यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, इसलिए इस दौरान सूतक काल (sutak period) भी लागू नहीं होगा। लेकिन फिर भी एहतियात के तौर पर कुछ सावधानियां बरती जा सकती हैं।
सूर्य ग्रहण का महत्व
धार्मिक दृष्टि से भी सूर्य ग्रहण विशेष महत्व रखता है। वहीं, वैज्ञानिक दृष्टि से समझें तो जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है तो इस दौरान सूरज की रोशनी धरती तक नहीं पहुंती। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार 14 अक्टूबर के दिन सूर्य ग्रहण की शुरुआत रात 08 बजकर 34 मिनट से होगी। वहीं, इसका समापन रात 02 बजकर 25 मिनट पर हो जाएगा।
करें ये काम
सूर्य ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ वर्जित माना जाता है, लेकिन आप मन ही मन ईश्वर के नाम का जाप कर सकते हैं। साथ ही गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। ऐसा करने से ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव से आप बच सकते हैं। ग्रहण के दौरान तेल या घी में पका हुआ भोजन, दूध, लस्सी, पनीर आदि से बनी चीजों में तुलसी का पत्ता या कुश डाल देना चाहिए। इससे यह चीजें सूर्य ग्रहण के प्रभाव से मुक्त हो जाती हैं।
भूलकर भी न करें ये काम
ग्रहण काल में भोजन करना वर्जित माना गया है। लेकिन अगर आप ग्रहण काल में किसी का श्राद्ध करना चाहते हैं, तो कर सकते हैं। सूतक काल के ये नियम बालक या वृद्ध व्यक्ति रोगी पर लागू नहीं होते। वहीं, सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए इसके साथ ही किसी धार्मिक स्थल पर भी न जाएं। साथ ही इस दौरान बाल या नाखून काटने, तेल मालिश करने से भी बचना चाहिए। साथ ही ग्रहण के दौरान बाहर की यात्रा पर भी न जाएं।
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