रामगढ़ (Ramgarh) । रामगढ़ (Ramgarh) के वेस्ट बोकारो में बुधवार रात करीब 2.30 बजे जोरदार आवाज के साथ जमीन फटने की घटना ने लोगों को उत्तराखंड (Uttarakhand) के जोशीमठ में हो रहे भू-धंसान (landslide) की याद दिला दी। यहां तीन घरों की दीवारों और फर्श में अचानक दो-दो फीट चौड़ी दरार पड़ गई। इस घटना के बाद लोगों में दहशत है। यह इलाका कोल खनन एरिया से करीब पौना किमी दूर है।
भुक्तभोगी सलेश साव ने बताया कि घर में अचानक जोरदार आवाज के साथ जमीन फटने लगी और दीवारों में मोटी-मोटी दरारें पड़ गईं। महज कुछ घंटे में ही दरारों से घर की दीवारें बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। इधर, जमीन फटने की आवाज सुनकर गहरी नींद में सोए परिवार के सदस्य घबरा गए और घर छोड़ कर भागने लगे।
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जमीन फटने की घटना से लोगों में दहशत
बुधवार की रात लगभग ढ़ाई बजे जोरदार आवाज के साथ जमीन और घर की दीवार फटने से आसपास के लोग दहशत में हैं। बोरिंग कैंप के समीप अस्थाई रूप से घर बनाकर रह रहे सलेश साव के घर में अचानक जोरदार आवाज के साथ जमीन फट गई। वेस्ट बोकारो डिवीजन में वर्तमान समय में जो अस्थाई रूप से शहर बसा है। उसके नीचे कंपनी दो दशक पूर्व ही भूमिगत खदान से कोयला निकाल चुकी है।
भूमिगत खदानों में अवैध खनन है कारण
जानकार बताते हैं कि जहां कहीं भी भूमिगत खदान चलती है वह जमीन धीरे-धीरे नीचे धंसती है। आज हुई घटना भी उसी ओर इशारा कर रही है। यहां भूमिगत खदान में काम कर चुके पूर्व कर्मचारियों ने बताया कि जिस जगह पर भू-धंसान हुआ है वहां पर पहले भूमिगत खदान चलती थी। वेस्ट बोकारो डिविजन प्रबंधन ने खदान विस्तारीकरण को लेकर अस्थायी रूप से बसे लोगों की सुरक्षा के ख्याल से जगह खाली करने का नोटिस दिया है।कंपनी लोगों को जगह खाली करने के बदले तय मुआवजा की राशि प्रदान कर रही है।
वेस्ट बोकारो (West Bokaro) में बुधवार की रात घटी जमीन फटने वाली घटना स्थल की खुली खदान से दूरी लगभग पौना किलोमीटर बताई जाती है। अब इस घटना के कारणों का पता विशेषज्ञ ही ठीक बता पाएंगे। घटना ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है। कारणों को जानने के लिए बेताब दिखे।
पूरा कोयलांचल भू-धंसान की जद में है
भूमिगत आग एवं अवैध खनन के कारण कोयलांचल भू-धंसान की जद में है। निरसा से लेकर झरिया एवं बाघमारा कोयला क्षेत्र में हमेशा भू-धंसान की घटनाएं होती रहती हैं। रेलवे लाइन और एनएच तक जद में है। अवैध खनन के कारण अंदर की जमीन में कोयला चोरों ने जगह जगह सुरंग बना दिया है। वहीं भूमिगत आग के कारण अंदर मौजूद कोयला जलकर राख होने से जमीन खोखली हो गई है। कई सघन आबादी वाले इलाके मानो लटके हुए हैं। पूर्व में सवा सात हजार करोड़ की झरिया पुनर्वास योजना की विफलता के कारण भू-धंसान की घटनाओं पर अंकुश नहीं लग पाया है।
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