शिवम पैराडाइज घोटाले पर अग्निबाण के खुलासे के बाद अब जारी सभी एनओसी की जांच शुरू
इंदौर। एक तरफ गृह निर्माण संस्थाओं की जांच शासन-प्रशासन द्वारा बीते 10 सालों से करवाई जा रही है, दूसरी तरफ भूमाफिया सहकारिता विभाग के साथ मिलीभगत कर इन जमीनों पर एनओसी हासिल कर लेता है, जिसके आधार पर नई कॉलोनी और बिल्डिंगें बनाकर करोड़ों रुपए का मुनाफा कमाया जाता है और दूसरी तरफ भूखंड हासिल करने वाले चप्पलें ही घीसते नजर आते हैं। अभी अग्निबाण ने शिवम पैराडाइज जमीन घोटाला उजागर किया, जिसमें सहकारिता विभाग ने अभी पिछले 4 दिसम्बर को ही एनओसी जारी कर दी, जबकि ये जमीन पत्रकार गृह निर्माण और जागृति गृह निर्माण की चर्चित भूमाफिया ने कबाड़ी और उसे निजी लोगों को बेच डाला।
पूर्व में भी जब गृह निर्माण संस्थाओं के घोटालों की जांच मुख्यमंत्री ने करवाई और कई चर्चित भूमाफियाओं को जेल भिजवाया और कई फरार हो गए। इसके बाद फिर कांग्रेस सरकार में भी पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सख्ती शुरू की और जमीन घोटालों की जांच शुरू करवाई गई। अभी वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भी सभी तरह के माफियाओं को खत्म करने के निर्देश पुलिस-प्रशासन और संबंधित विभागों को दिए हैं। बावजूद इसके सहकारिता विभाग की मिलीभगत भूमाफियाओं के साथ कम नहीं हो रही है। कुछ दिनों पूर्व उपायुक्त सहकारिता का तबादला करा दिया था और भूमाफिया अपने पसंद के अधिकारी बबलू सातनकर को ले आए, जिन्होंने दो महीने से कम समय में ही कई एनओसी भूमाफिया के इशारे पर संस्थाओं की जमीनों की जारी कर दी। मजे की बात यह है कि ये जमीनें पिछले वर्षों में बिकी और उनकी एनओसी अब जारी की गई। खजराना में सर्वे क्र. 415/2, 415/1/2, 415/1/3 पर 2.372 हैक्टेयर जमीन पर शिवम पैराडाइज नामक विकसित की जा रही कॉलोनी को भी सहकारिता विभाग ने 04.12.2020 को एनओसी दे डाली, जिसका भंडाफोड़ अग्निबाण ने किया। इसके बाद अब इस एनओसी के साथ अन्य गड़बडिय़ां भी सामने आ रही है। सूत्रों के मुताबिक सहकारिता विभाग ने 3 से 4 एनओसी भूमाफिया के पक्ष में इसी तरह जारी कर दी है, जिसके चलते पिछले दिनों ही सातनकर का तबादला भोपाल कर दिया और पूर्व में पदस्थ मदन गजभिये को फिर से लाया गया। दरअसल, गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों को हड़पने के बाद निजी लोगों को इन जमीनों के बड़े-बड़े टुकड़े बेच दिए गए, जिनकी रजिस्ट्रियां भी हो चुकी हैं और अब नगर तथा ग्राम निवेश से अभिन्यास मंजूर करवाने और फिर उसके आधार पर निगम प्रशासन से कॉलोनी विकास की अनुमति हासिल करने के लिए अनापत्ति प्रमाण-पत्र यानी एनओसी की जरूरत पड़ती है, जो सहकारिता विभाग के साथ सांठगांठ कर हासिल की जा रही है। शिवम पैराडाइज घोटाले के उजागर होने के बाद प्रशासन ने इस तरह जारी की गई एनओसी की जांच-पड़ताल शुरू करवा दी है, क्योंकि पुलिस-प्रशासन और सहकारिता विभाग द्वारा ही शहर की चर्चित और दागी गृह निर्माण संस्थाओं की जांच की जा रही है। इनमें कई संस्थाएं इंदौर विकास प्राधिकरण की योजनाओं में भी शामिल है और दूसरी तरफ हजारों सदस्य सालों से भूखंड हासिल करने के लिए थानों से लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं और भूमाफिया जमकर इन जमीनों को बेचकर करोड़ों-अरबों रुपए कमाता रहा है।
सीधे किसानों से भी खरीद ली संस्थाओं की जमीनें
भूमाफियाओं ने गृह निर्माम संस्थाओं की जमीनों को हड़पने के साथ एक से बढक़र एक जादूगरी भी दिखाई। जहां संस्था में नए सदस्य बनाए, वहीं अपने पदाधिकारी बैठाए और दूसरी तरफ इन जमीनों को ठिकाने लगाना शुरू कर दिया। यहां तक कि संस्थाओं ने जिन किसानों से जमीनें खरीदी थी उनको ढूंढा गया और अगर वे किसान जीवित मिले, तो उनसे अथवा उनके परिजनों से नया अनुबंध कर ये जमीनें खरीद ली गई। शहर की कई चर्चित संस्थाओं में भूमाफियाओं ने सुनियोजित तरीके से ये खेल किया और संस्थाओं की बजाय सीधे किसानों से उन जमीनों के सौदे कर लिए, जो जमीनें संस्थाओं को बिक चुकी थी। घोटालों की जांच में इस तरह के कई प्रमाण सामने आए, जिसमें माफियाओं ने किसानों से जमीनों की रजिस्ट्रियां करवा ली।
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