कोलकाता (Kolkata)। बीते हफ्ते रिलीज हुई केरल में धर्मांतरण (conversion in kerala) को लेकर रिलीज हुई फिल्म दे केरल स्टोरी (film the kerala story) को पश्चिम बंगाल (West Bengal) में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने बैन (BAN) कर दिया. उसके इस कदम की केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर (Union Minister Anurag Thakur) ने आलोचना की तो पश्चिम बंगाल के मंत्री ने पलटवार कर कहा, तो फिर केंद्र सरकार ने बीबीसी की उस डॉक्यूमेंट्री को क्यों बैन किया जो पीएम मोदी के खिलाफ बनी थी।
टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष (TMC spokesperson Kunal Ghosh) ने कहा, दिल्ली में बैठकर हमें लेक्चर देने वाले ने खुद कहा है ‘गोली मारो सालों को’, मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि उन्होंने पीएम मोदी पर बनी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध क्यों लगाया? फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के राज्य सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए घोष ने कहा, यह एक ऐसी फिल्म है जिसका उद्देश्य ध्रुवीकरण करना और एक समुदाय को भड़काना है। यह फिल्म झूठ और गलत सूचना पर आधारित है, जैसा कि हमारे मुख्यमंत्री ने कहा है।
‘हम अभिव्यक्ति की आजादी के पक्षधर’
कुणाल घोष ने फिल्म बैन को लेकर कहा, हम लोग अभिव्यक्ति की आजादी के पक्षधर हैं और अक्सर फिल्म पर प्रतिबंध नहीं लगाते हैं लेकिन अगर कोई जानबूझकर समाज के एक वर्ग को बदनाम करने के लिए फैक्ट्स को तोड़-मरोड़ कर पेश करता है तो फिर प्रशासन को क्या करना चाहिए?
‘तो इस्तीफा क्यों नहीं दे देती हैं सीएम ममता बनर्जी?’
पश्चिम बंगाल के विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने प्रतिबंध को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए कहा, किसी फिल्म को बैन करना सही नहीं है इसके पीछे यह तर्क देना कि इससे कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है, ठीक नहीं है. उन्होंने कहा, राज्य की सीएम ममता बनर्जी अगर राज्य में कानून और व्यवस्था को बनाए रखने में सक्षम नहीं है तो वह अपना इस्तीफा क्यों नहीं दे देती हैं।
वहीं इस फिल्म के बैन का विरोध कर रहे लोगों ने राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख करने का फैसला लिया है।
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