सागर: सेंट्रल जेल (Central Jail) में व्याख्यान का आयोजन किया गया था. जज साहब (judge Sahab) व्याख्यान देने के लिए आने वाले थे. सभी कैदी (prisoner) उनका इंतजार कर रहे थे. तभी पगड़ी पहने एक शख्स की वहां एंट्री हुई. कैदी समझे कि कोई कथावाचक (narrator) है. लेकिन, अचानक तमाम वर्दीधारी उनको सैल्यूट मारने लगे. कैदी यह देखकर हैरान थे कि किसी कथावाचक को सलामी क्यों दी जा रही है. बात में पता चला कि वह शख्स कोई कथावाचक नहीं, बल्कि सागर (Saugor) के प्रधान जिला न्यायाधीश (Principal District Judge) हैं. जज साहब का यह रूप देख वहां मौजूद सभी लोग अचंभित थे.
इसके बाद सागर के प्रधान जिला न्यायाधीश अरुण कुमार सिंह ने संगीतमय तरीके से करीब ढाई घंटे तक भजन, कथा और कहानियों के माध्यम से भगवान की शरण में जाने और सन्मार्ग अपनाने के लिए प्रेरित किया. सेंट्रल जेल सागर में “सर्व सुख खान परमात्मा की प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन शरणागति” को लेकर व्याख्यान रखा गया था. इस दौरान उन्होंने कहा कि भगवान की भक्ति के लिए निर्मल मन चाहिए, लेकिन हमारे अंदर के भाव क्या रहते हैं. बाहर के भाव क्या होते हैं. यह समझना बहुत मुश्किल होता है.
जज साहब ने कहा, आप लोग जेल के बाहर तो जा नहीं सकते. जेल में चाहे लड़े झगड़ें या भगवान का भजन करें, यह आपके ऊपर निर्भर करता है. जो इस समय का उपयोग नहीं करेगा, जीवन भर दुख भोगता है. फिर काल को दोष लगाएगा, कर्म को दोष लगाएगा, भगवान को दोष लगाएगा कि भगवान बड़ा पक्षपाती है. फलाना व्यक्ति पाप करता है, उसका पूरा घर भर गया, मैं पुण्य करता हूं मुझे जेल की सजा हो गई. मिथ्या दोष लगाएगा.
वहीं, जेल अधीक्षक दिनेश कुमार नरगावे ने बताया कि कैदियों की धार्मिक उन्नति के लिए यह व्याख्यान रखा गया है, क्योंकि जेल में बंद कैदी डिप्रेशन में रहते हैं. उन्हें तनाव से मुक्ति मिल सके, इसलिए इस तरह की धार्मिक कार्यक्रम होते रहते हैं.
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