उज्जैन। करीब 14 करोड़ रुपए से अधिक के डीपीएफ घोटाले को अग्रिबाण ने उजागर किया था और इसके बाद से ही जाँच चल रही है लेकिन मुख्य बात यह है कि क्या ईमानदारी से जाँच की जा रही है..ऐसा लग रहा है कि जाँच की गति धीमी है और बाद में कुछ पल्ले नहीं पड़ेगा। सेंट्रल जेल भैरवगढ़ में 14 करोड़ रुपए फर्जी तरीके से जेल कर्मियों के डीपीएफ खाते में से निकालने के मामले में जाँच जारी है। एक तरफ जेल प्रशासन जाँच करवा रहा है, वहीं दूसरी तरफ लेखा की भी भोपाल स्तर की एक टीम आकर पूरे लेनदेन की जाँच कर रही है। इस जाँच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि आरोपी रिपुदमन रघुवंशी ने जेल के अन्य सिपाहियों को जमीन बेचने एवं सट्टे में बड़ी रकम खुलने का कहकर करोड़ों रुपए का लेनदेन उनके खाते में करवाया और उन्हें कुछ पैसे देकर खाते से करोड़ों रुपए निकलाकर खर्च कर दिए। जेल के सिपाहियों में एक शैलेंद्र तरह दूसरा जेल अधीक्षक के ड्राइवर का नाम सामने आया है, वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुछ लोगों के जिनसे रिपुदमन सिंह रघुवंशी की दोस्ती थी, उनके खातों में भी लेनदेन किया है। बताया जाता है कि गबन के इन रूपों से उसने विगत तीन-चार वर्षों में शहर में चार से पांच प्लाट खरीदे हैं और भी अन्य संपत्तियाँ खरीदी है।
जाँच एजेंसी को चाहिए कि रिपुदमन की संपत्तियों से संबंधित कागजात उसके घर से जप्त करें या कौन सी संपत्ति या उसके नाम से है यह पता लगाएं। यदि जाँच एजेंसियाँ जांच में देरी करेगी तो आरोपी यह प्लाट किसी और के माध्यम से बेच सकता है। सूत्र बताते हैं कि आरोपी रिपुदमन के घर में बेड में हमेशा रुपए भरे रहते थे। जेल के सूत्रों ने बताया कि 9 मार्च को यह घोटाला सामने आ गया था और उसे भी पता चल गया था तो 10 मार्च की रात्रि में उसने खूब शराब पी। वह जेल अधीक्षक से मिला। जेल अधीक्षक ने उससे फिर सुबह आने को कहा, इसी बीच शनिवार 11 मार्च को दोपहर में वह अपने बीवी बच्चों के साथ निजी कार में ट्राली बेग भर के पैसे लेकर रवाना हो गया। बाद में पुलिस ने जाँच करते हुए उसके घर पर नोटिस चस्पा किया बताया जाता है कि रिपुदमन के पास पासपोर्ट भी बना हुआ है, वह विदेश भी भाग सकता है, इसलिए जाँच एजेंसियों को विशेष ध्यान देना चाहिए।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आरोपी रिपुदमन सिंह रघुवंशी का एक भाई इंदौर की साइबर सेल में सांवेर क्षेत्र में पदस्थ है तथा महाकाल थाने के कुछ पुलिसकर्मियों का भी रोजाना आना जाना रिपुदमन के घर लगा रहता था। जेल से जुड़े सभी लोगों के खातों को चेक करवाना चाहिए।
बैंक अधिकारियों पर भी हो मुकदमा दर्ज
जेल से जुड़े कर्मचारियों के खातों में गबन कांड के करोड़ों रुपए का लेनदेन हुआ, इसमें बैंक अधिकारियों की भूमिका की भी जाँच होना चाहिए, क्योंकि सिपाही स्तर के कर्मचारियों के खातों में करोड़ों रुपए आए और निकले। इस ट्रांजेक्शन पर बैंक मैनेजर और आयकर अधिकारियों की नजर क्यों नहीं पड़ी, जबकि बैंक का कोई आम खातेदार 50000 से अधिक की राशि भी जमा कराता है तो उससे प्रश्न किए जाते हैं। ऐसे में करोड़ों रुपए का लेनदेन सिपाहियों के खाते से हुआ और मैनेजर ने ध्यान क्यों नहीं दिया, उनकी भी जिम्मेदारी तय होने चाहिए तथा मुकदमे उन पर भी जारी होना चाहिए।
विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव भी लगा
जेल गबन कांड को लेकर विधानसभा में विधायक महेश परमार ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लगाया है और जेल अधीक्षक पर तत्काल मुकदमा दर्ज करने की मांग की है और उन्हें हटाने की भी मांग की है। विधायक महेश परमार ने यह भी कहा है कि जैसे ही विधानसभा सत्र खत्म होगा वह जेल कर्मियों के लिए जेल के सामने धरना और आमरण अनशन करेंगे, जिससे जेल कर्मियों को उनका जमा पैसा मिल सके। सरकार इसका आश्वासन दे तभी वे आंदोलन खत्म करेंगे।
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