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    संजीवनी घोटाले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उनके परिजनों की संलिप्तता की हाईकोर्ट जज से हो जांच- पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

  • September 27, 2024


    जयपुर । पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Former Chief Minister Ashok Gehlot) ने कहा कि संजीवनी घोटाले में (In the Sanjeevani Scam) केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उनके परिजनों (Union Minister Gajendra Singh Shekhawat and his Family Members) की संलिप्तता (Involvement) की हाईकोर्ट जज से जांच हो (Should be Investigated by High Court Judge) ।


    घोटालों की सियासी संजीवनी आखिर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उनके परिजनों को जीवनदान देगी या नहीं यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फिर गजेंद्र सिंह पर पलटवार किया है। उन्होंने एक बयान में कहा है कि एसओजी ने 12 अप्रैल 2023 को राजकीय अधिवक्ता को लिखे पत्र क्रमांक SOG/SFIU/INV/2023/220 के साथ इस केस की तथ्यात्मक रिपोर्ट भेजी थी। इसमें पेज नंबर 7 पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उनके परिजनों की अपराध में संलिप्तत होने की बात लिखी और आरोपी माना है। इस रिपोर्ट में लिखा गया कि जिन कंपनियों की संलिप्तता संजीवनी घोटाले में है उनसे गजेन्द्र सिंह शेखावत का सीधा संबंध है। इसलिए इस केस की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से कराई जानी चाहिए।

    गहलोत ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि संजीवनी प्रकरण को लेकर केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत द्वारा दायर एक मुकदमे में हाईकोर्ट का फैसला वर्तमान में अदालत के सामने एसओजी द्वारा रखे गए तथ्यों के आधार पर आया है। राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के बाद एसओजी ने हाईकोर्ट में यू-टर्न ले लिया। इस केस के जांच अधिकारी को भी हटा दिया गया। भाजपा सरकार द्वारा नामित सरकारी वकीलों ने भी केन्द्रीय मंत्री का ही पक्ष लिया। इस सबके बावजूद हाईकोर्ट ने मंत्री जी की याचिका के अनुरूप FIR को रद्द नहीं किया है। हाईकोर्ट ने कहाकि ट्रायल कोर्ट की इजाजत लेकर आगे कार्रवाई की जा सकती है।

    गहलोत ने कहा कि इस केस के सैकड़ों पीड़ितों ने मुझसे मुलाकात की थी। तब मैंने एसओजी से इस मामले की जानकारी मांगी। तब एसओजी ने गृहमंत्री के रूप में मुझे इन तथ्यों एवं इस प्रकरण की प्रगति से अवगत करवाया। मेरा गजेन्द्र शेखावत के प्रति कोई व्यक्ति द्वेष नहीं था। एसओजी की इस ब्रीफिंग के आधार पर ही मैंने मीडिया के सामने शेखावत एवं उनके परिजनों पर लगे आरोपों की जानकारी सामने रखी। शेखावत ने अपने बयानों में अपनी स्वर्गीय माताजी पर लगे आरोपों का जिक्र किया। मेरा उनकी स्वर्गीय माताजी के प्रति पूरा सम्मान है, परन्तु राज्य के गृहमंत्री के रूप में मेरे सामने लाए गए तथ्यों को पीड़ितों एवं जनता के सामने रखा जाना मेरा कर्तव्य था।

    गहलोत ने आरोप लगाया कि अब राज्य में सरकार बदलने के बाद एसओजी पर भाजपा सरकार ने दबाव बनाया जिसके कारण एसओजी ने कोर्ट में यू-टर्न लिया और इन्हें आरोपी नहीं माना है। मेरी मांग है कि निष्पक्ष जांच के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड न्यायाधीश की अध्यक्षता में एसआईटी बनाकर इस प्रकरण की जांच की जाए जिससे पता चले कि कांग्रेस शासन में एसओजी द्वारा गलत जांच की गई या अभी दबाव में एसओजी ने गलत रिपोर्ट तैयार की है। कांग्रेस सरकार के समय इस केस में एसओजी ने फॉरेंसिक ऑडिट तक करवाकर भी जांच की थी। मेरा उद्देश्य लाखों पीड़ितों के साथ न्याय सुनिश्चित कर उनके जीवन की मेहनत की कमाई वापस उनको दिलवाने का है।

    संजीवनी क्रेडिट को ऑपरेटिव सोसायटी के घोटाले में हाईकोर्ट ने भले ही केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उनके परिजनों को एसओजी की रिपोर्ट के आधार क्लीनचिट दे दी है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर 960 करोड़ रुपए के इस घोटाले का मुख्य दोषी कौन है। उसकी संपत्ति सीज करके वसूली क्यों नहीं हो रही। इस ठगी का शिकार हुए 1.46 लाख लोगों को उनका जमा पैसा कैसे मिलेगा। अगर, इतनी बड़ी ठगी में भी दोषी ऐसे बच जाएंगे तो फिर सरकार की क्या जिम्मेदारी है। क्या सिर्फ वोट लेकर सत्ता सुख भोगना ही राजनीतिक दलों का लक्ष्य रह गया है।

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