इंदौर। देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में निजी कॉलेजों की मान्यता को लेकर प्रबंधन की लापरवाहियां कम होने का नाम नहीं ले रहीं। 2 साल पहले 13 निजी कॉलेजों की शिकायत के बाद जांच कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने खामियां मानीं, लेकिन यूनिवर्सिटी ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की। यूनिवर्सिटी में निजी कॉलेज की संबद्धता को लेकर शिक्षा माफिया का बोलबाला रहा है। 17 अगस्त 2022 को 13 कॉलेजों में नियम विरुद्ध संबद्धता की शिकायत की गई थी। शिकायतकर्ता विकास नंदलाल ने बताया कि कॉलेजों से दस्तावेज और स्पष्टीकरण मांगा था।
जांच समिति गठित की गई, जिसमें डॉ. राजीव दीक्षित, अर्चना रांका और लक्ष्मण शिंदे को सदस्य नियुक्त किया गया। जांच प्रतिवेदन कुलसचिव को प्रस्तुत किया था। समिति के सदस्य लक्ष्मण शिंदे ने बताया कि औचक निरीक्षण के दौरान कई कॉलेजों में कॉलेज में खेल का मैदान नहीं था। छात्रों की संख्या के अनुरूप शिक्षकों का अनुपात कम कर रहा। प्रयोगशाला, क्लास रूम आदि कई खामियां मिली थीं। यूनिवर्सिटी की ओर से मामला कार्यपरिषद में भी गया और फिर एक जांच कमेटी बनाई गई। कुल मिलाकर यूनिवर्सिटी मामले में सख्त कार्रवाई का मन नहीं रख रही, इसलिए लेटलतीफी कर रही है। अब शिकायतकर्ता ने लोकायुक्त को गुहार लगाई है। वहीं नए कुलगुरु डा. राकेश सिंघई से भी उम्मीद जताई जा रही है कि पुराने मामलों की फाइलें खुलेंगी।
यह हैं संदिग्ध कॉलेज
– कोठारी कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी
– पायोनियर इंस्टिट्यूट प्रोफेशनल एकेडमी
– अपेक्स इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च
– सॉफ्ट विजन कॉलेज
– प्रोफेसर बृजमोहन मिश्रा इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल टेक्निकल साइंस
– स्कूल आफ बिजनेस
– बीएम इंस्टिट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडी
– श्री जैन श्वेतांबर प्रोफेशनल एकेडमी
– चमेलीदेवी ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूट
– अरिहंत कॉलेज
– इल्वा कॉलेज आदि।
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