भोपाल। गर्मी के सीजन में अभी अप्रैल का दूसरा ही दिन है, लेकिन गर्मी से राहत पाने के लिए लोग जिस तरह से बिजली के संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं, उससे खपत तेजी से बढ़ी है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है मार्च के आखिरी हफ्ते में बिजली की खपत ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है, जबकि अभी अप्रैल-मई और जून भी बाकी हैं। इस बीच गर्मी ने अप्रैल के पहले दिन भी अपने तीखे तेवर दिखा दिए। इस कारण प्रदेश में इन दिनों बिजली की मांग बढ़ गई है। प्रदेश के बिजली संयंत्रों में हो रहे कम उत्पादन के चलते प्रदेश ने सेंट्रल सेक्टर के निर्धारित शेड्यूल से 440 मेगावाट बिजली का ओवर ड्रा किया।
प्रदेश में बिजली उत्पादन की स्थिति
संयंत्र क्षमता उत्पादन थर्मल 5,400 मेगावाट 3,166 मेगावाट हाईडल 3,382मेगावाट 1,293 मेगावाट कुल क्षमता-8,382 मेगावाट 4,459 नोट – सेंट्रल सेक्टर से मध्य प्रदेश 5,737 मेगावाट बिजली की मांग का शेड्यूल दिया था लेकिन मांग बढऩे के कारण 6,167 मेगावाट बिजली ड्रा की गई। 440 मेगावाट बिजली आठ रुपये प्रति यूनिट की दर से ओवर ड्रा की गई।
ऐसे पूरी हो रही बिजली की आपूर्ति
जानकारी के अनुसार दरअसल, मध्य प्रदेश बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं है, लेकिन प्रदेश ने बिजली की आपूर्ति निर्बाध बनाए रखने के लिए निजी कंपनियों से 22 हजार मेगावाट बिजली खरीदी का पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) किया हुआ है। इस अनुबंध की शर्त यही है कि प्रदेश ने उन कंपनियों से बिजली नहीं खरीदी तो भी उन्हें एक रुपये 31 पैसे प्रति यूनिट का फिक्स चार्ज दिया जाएगा। यही वजह है कि प्रदेश सरकार अपने बिजली संयंत्रों को पूरी क्षमता पर नहीं चलाती है। पांच साल में बिना बिजली खरीदे दे दिए 12 हजार 731 करोड़ सरकार ने बीते पांच साल में 12,731.93 करोड़ रुपये का भुगतान बिना बिजली लिए किया है। इसमें निजी कंपनियों को करीब 2,767.77 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ है। इसी आधार पर प्रदेश सरकार बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने का दावा करती है।
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