इंदौर। इंदौर शहर में बिहार (bihar) से बाल श्रमिकों (child laborers) का आना नहीं थम रहा है। चुनाव (election) के पहले की गई कार्रवाई में एक साथ सैकड़ों बच्चे बाल मजदूरी छोड़कर पलायन (palaayan) कर गए थे, लेकिन जैसे ही प्रशासन (administration) की कार्रवाई का डंडा थमा, फिर तादाद में शहर में बाल मजदूरों के खेप पहुंच गई है। सिर्फ 15 हजार रुपए सालाना मजदूरी लेकर माता-पिता की रजामंदी से ठेकेदार शहर में बाल मजदूर उपलब्ध करा रहे हंै।
कल महिला एवं बाल विकास विभाग, बाल कल्याण विभाग को बाल श्रम को लेकर मिली शिकायत के बाद अधिकारी दबिश देने पहुंचे तो 3 बच्चे मजदूरी करते हुए पाए गए। कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश के बाद मोती तबेला क्षेत्र के बैग बनाने के कारखाने पर दबिश दी गई। ज्ञात हो कि यहां भारी मात्रा में बच्चों से मजदूरी कराई जा रही है, वहीं बच्चों के साथ काम नहीं करने या नुकसान कर देने की सूरत में शारीरिक और मानसिक शोषण भी किया जा रहा है। रेस्क्यू किए गए बच्चों ने कबूला कि उनके साथ मारपीट भी की जाती है। महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारी रामनिवास बुधौलिया ने जानकारी देते हुए बताया कि मोती तबेला क्षेत्र में बाल संरक्षक अधिकारी भगवानदास साहू और विभाग के संदेश रघुवंशी व आशीष गोस्वामी ने श्रम विभाग की टीम के साथ कार्रवाई की। सूचिता सिंह, कुलदीप इंगले, कोशिका पीएन ठाकुर और तृप्ति डावर की संयुक्त कार्रवाई में पाया गया कि ठेकेदार द्वारा बैग बनाने के लिए बच्चों को लाया जा रहा है। उक्त कारखाने से 3 नाबालिग और 6 किशोर बरामद किए हैं।
एक्ट में सजा का प्रावधान
श्रम विभाग के माध्यम से जेजे एक्ट के माध्यम से कार्रवाई की जाएगी। थाना पंढरीनाथ की टीम ने बच्चों को रेस्क्यू करने के साथ ही उनका मेडिकल परीक्षण भी करवाया गया। मालूम हो कि बाल कल्याण समिति का कार्यकाल समाप्त होने के कारण बच्चों को लेकर हो रही कार्रवाई के दौरान निर्णय लेने की स्थिति में बच्चों को उज्जैन के सीडब्ल्यूसी के समक्ष पेश किया जा रहा है। लंबे समय से इंदौर की समिति का कार्यकाल खत्म होने के कारण विभाग परेशानियां झेल रहा है।
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