नई दिल्ली: भारतीय सेना (Indian Army) ने पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में 14,300 फीट की ऊंचाई पर स्थित पैंगोंग झील (Pangong Lake) के किनारे मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी (Chhatrapati Shivaji) की एक भव्य मूर्ति स्थापित की है. ये जगह वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) के निकट है जहां चीन (China) के साथ लंबे समय से तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई थी. इस पहल का उद्देश्य छत्रपति शिवाजी के अडिग साहस और उनकी ऐतिहासिक धरोहर को सम्मानित करना है.
रिपोर्ट के अनुसार इस मूर्ति का अनावरण लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला 14 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग जी के हाथों किया गया. 14 कोर जिसे “फायर एंड फ्यूरी कोर” के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने इस अवसर पर शिवाजी की रणनीतिक कुशलता और नेतृत्व को श्रद्धांजलि दी. सेना के आधिकारिक बयान में कहा गया कि ये कार्यक्रम आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा.
छत्रपति शिवाजी की मूर्ति का उद्घाटन ऐसे समय पर हुआ है जब भारत और चीन ने डेमचोक और देपसांग के दो बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी कर ली है. ऐसे में ये कदम चार साल से जारी सीमा विवाद के समाधान की दिशा में एक अहम प्रगति के रूप में देखा जा रहा है.
पैंगोंग झील क्षेत्र में 2020 में शुरू हुए सीमा विवाद के बाद ये स्थान सामरिक दृष्टि से खास बन गया है. 21 अक्टूबर को भारत और चीन ने एक समझौते के तहत सैनिकों की वापसी पूरी की जिससे दोनों देशों के बीच तनाव में कमी आई है. इस मूर्ति की स्थापना भारतीय सेना के संकल्प और छत्रपति शिवाजी की प्रेरणा को दर्शाती है.
भारतीय सेना ने इस मूर्ति के माध्यम से न केवल छत्रपति शिवाजी की ऐतिहासिक धरोहर को सम्मान दिया है बल्कि उनकी सैन्य रणनीतियों और अदम्य साहस को आज के सैन्य क्षेत्र में समाहित करने का प्रयास किया है. ये मूर्ति आने वाली पीढ़ियों के लिए शिवाजी के विचारों और देशभक्ति का प्रतीक बनी रहेगी.
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