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    भारत बंद का महाराष्ट्र में असर गहरा होगा, कोयला नहीं पहुंचा तो कई इलाकों में अंधेरा होगा

  • March 28, 2022

    नई दिल्ली: आज और कल को भारत बंद (Bharat Bandh) का आह्वान किया गया है. कई केंद्रीय मजदूर और कर्मचारी संगठनों ने मिलकर देश भर में बंद की घोषणा की है. इस भारत बंद में बिजली, बैंकिंग समेत कई केंद्रीय मजदूर और कर्मचारी संगठन शामिल हुए हैं. इसका असर आम जनजीवन पर भी पड़ रहा है. कोयला सप्लाई करने वाले कर्मचारियों और मजदूरों द्वारा भी हड़ताल में शामिल होने की वजह से अब इसका असर महाराष्ट्र में भी दिखाई देने की पूरी आशंका है.

    कोयले की सप्लाई में रुकावटें आने की वजह से राज्य के कई जगहों पर बिजली उत्पादन और आपूर्ति (Electricity supply) प्रभावित हो सकती है और कई इलाकों में बिजली गुल (Power Cut due to coal crisis) हो सकती है. आज और कल कई यूनियन हड़ताल पर हैं. इन हड़ताल करने वाले यूनियनों में राज्य के कई बिजली केंद्रों में कोयला सप्लाई करने वाला वेस्टर्न कोलफील्ड्स का यूनियन भी शामिल है. इस यूनियन के सदस्य खदान से कोयले निकालने का काम करने से लेकर सप्लाई तक के काम में जुटे होते हैं. राज्य के कई बिजली केंद्रों में सिर्फ दो-तीन दिनों के कोयले का ही स्टॉक है. इन दिनों की स्ट्राइक की वजह से यह स्टॉक खत्म हो सकता है और इलेक्ट्रिसिटी प्रोडक्शन और सप्लाई पर फर्क पड़ सकता है.


    किन बिजली केंद्रों में कितने दिनों के कोयले का स्टॉक?
    अगर हम अलग-अलग बिजली केंद्रों में कोयले के स्टॉक की बात करें तो भुसावल, नाशिक और कोराडी में 2-2 दिनों के कोयले का स्टॉक बचा है. पारस में 2.5 दिनों का और परली में 2.7 दिनों का स्टॉक बचा है. चद्रपुर और खापरखेडा में हालात थोड़े बेहतर हैं. चंद्रपुर में 8 दिनों का और खापरखेडा में 10 दिनों के कोयले का स्टॉक बचा है. वैसे देखा जाए तो राज्य में फिलहाल कोयले की कमी नहीं है. लेकिन बिजली केंद्रों में इसका डिस्ट्रिब्यूशन सही ना होने की वजह से कुछ बिजली केंद्रों में कोयले का संकट पैदा होने की स्थिति हो सकती है. इसकी एक वजह यह भी है कि दो दिनों के बाद जब कर्मचारी और अधिकारी काम पर लौटेंगे तो अगले दो दिनों में स्थिति सामान्य हो पाएगी और कोयला सप्लाई ठीक तरह से शुरू हो पाएगा.

    फिर भी चिंता की बात नहीं, इस वजह से खत्म होगा स्टॉक नहीं
    हालांकि बिजली विभाग के अधिकारियों का मानना है कि हड़ताल और भारत बंद का असर कोयले संकट पर बहुत ज्यादा नहीं होगा. इसकी एक वजह यह है कि थोड़ा स्टॉक बिजली केंद्रों में मौजूद है और बहुत सारा कोयला अभी ट्रांसपोर्ट के माध्यम से बिजली केंद्रों की ओर चल पड़ा है और रास्तों पर है. कायले के ये माल स्ट्राइक से प्रभावित नहीं होने वाले हैं. ये अपना सफर तय कर बिजली केंद्रों तक पहुंचने ही वाले हैं. अगर हड़ताल लंबी खिंचती तब भले ही इसका असर दिखाई देता, फिलहाल स्थिति बहुत ज्यादा चिंता करने लाएक नहीं है. खैर, इतना तो कहा ही जा सकता है कि बिलकुल कट टू कट की स्थिति है.

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