इंदौर। सिंहस्थ 2028 (Simhastha 2028) के मद्देनजर एमआर-12 (MR-12) का निर्माण पूर्ण होना अत्यावश्यक है, क्योंकि पूर्वी बायपास को सीधे उज्जैन रोड (ujjain road) से यह जोड़ेगा। हालांकि बीते कई वर्षों से 60 मीटर चौड़ी और लगभग 14 किलोमीटर लम्बी इस महत्वपूर्ण रोड को बनाने की कवायद चल रही है और अलग-अलग टुकड़ों में इसका निर्माण प्राधिकरण (authority) द्वारा कराया जा रहा है। पिछले दिनों बायपास से कैलोदहाला (Calodahla) तक 3 किलोमीटर के हिस्से में 13 करोड़ रुपए की लागत से रोड का निर्माण शुरू भी करवाया। सबसे बड़ी बाधा दो हजार मकानों की काबिज अवैध बस्ती रविदास नगर बाधक है। इसके लिए व्यवस्थापन के साथ राजनीतिक निर्णय भी लेना पड़ेगा।
अभी तक विधानसभा और लोकसभा चुनावों के चलते भी बस्ती को नहीं हटाया जा सका था। प्राधिकरण सीईओ ने कल अधिकारियों के साथ इस रोड का अवलोकन किया, साथ ही खजराना ओवरब्रिज के लिए मास्टिक एस्फॉल्ट का काम भी रातभर चला। मास्टर प्लान में भी प्राधिकरण द्वारा जितने भी एमआर रोड हैं, उनको शामिल किया गया है। अभी तक एमआर-10 ही लगभग पूरा बना है, जबकि बाकी के एमआर आधे-अधूरे ही रहे। प्राधिकरण की योजना टीपीएस-8 के तहत एमआर-12 बनाया जाना है। प्राधिकरण के सीआईओ अहिरवार के मुताबिक लवकुश चौराहा से शुरू होकर बायपास स्थित ग्राम अरण्ड्या को यह रोड जोड़ता है, जो कि आगामी सिंहस्थ के रूप में वैकल्पिक मार्ग के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। अभी पूरा यातायात एमआर-10 पर चलता है। इस रोड पर एक रेलवे लाइन पर ओवरब्रिज और कान्ह नदी पर एक हाई लेवल ब्रिज भी बनाया जाना है, जिसका निर्माण शीघ्र शुरू होगा। मार्ग का निर्माण दोनों ओर से किया जा रहा है और अभी तक लगभग ढाई किलोमीटर का हिस्सा बन चुका है। कल श्री अहिरवार ने एमआर-12 के अवलोकन के साथ ही निर्माण कार्य को समय सीमा में और गुणवत्ता के साथ पूरा करने के अलावा किसानों से समन्वय करने के निर्देश भी दिए। अधीक्षण यंत्री अनिल जोशी, सीपी मूंदड़ा, सुदीप मीणा सहित अन्य मौजूद रहे।
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