नई दिल्ली। घोड़ों (Horses) को इंसान का सबसे अच्छा दोस्त माना जाता है। घोड़ों की दम पर ही आदमी ने सालों-साल युद्ध लड़े यात्राएं कीं। अभी भी कई लोग कारों और पेट्रोल गाड़ियों (Petrol Vehicles) के युग में घोड़ों को पालना पसंद करते हैं। ऐसा ही एक घोड़ा चीन में था, जिसने अपने मालिक के आदेश पर एक व्यक्ति की जान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की। यह कहानी ठीक भारत के महान सपूत महाराणा प्रताप के घोड़े की तरह है। महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था। उसने भी अपने मालिक की जान बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी थी।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक घोड़े ने पानी से अपने मालिक को बचा लिया लेकिन वह गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसके बाद कुछ दिनों बाद उसकी बीमारी की वजह से मौत हो गई। सफेद रंग के घोड़े की उम्र केवल सात साल थी, मालिक उसे प्यार से बाइलॉन्ग कहकर बुलाता था। इसका शाब्दिक अर्थ व्हाइट ड्रैगन होता है।
घोड़े के मालिक यिलिबाई के अनुसार, इस घटना के पहले बाइलॉन्ग ने कभी पानी में कोई यात्रा नहीं की थी। लेकिन इसके बाद भी जब उसने आदमी को डूबते हुए देखा तो मैंने उसे उस व्यक्ति को बचाने के लिए कहा, मेरा आदेश सुनते ही वह उसे बचाने के लिए चला गया। इस घटना के सात दिनों तक वह सुस्त रहा, फिर एक दम से खाना छोड़ दिया। उसे तेज बुखार रहने लगा। मैंने स्थानीय पशु डॉक्टरों को भी दिखाया लेकिन हम उसका जीवन नहीं बचा पाए। मंगलवार 11 फरवरी को उसका जीवन समाप्त हो गया।
यिलिबाई ने कहा कि मैंने व्यक्ति की जान बचाने से पहले दोबारा नहीं सोचा। मुझे एक जीवन को बचाने के लिए यह करना ही पड़ा। लेकिन दुर्भाग्यवश मेरा घोड़ा इसमें अपनी जान गंवा बैठा। वह मेरे लिए मेरे परिवार जैसा था। वह मुझ पर भरोसा करता था और मैं उस पर।
इस पूरी घटना के बाद जियानताओं सिटी सरकार ने बचाव अभियान में शामिल लोगों के लिए 3000 युआन का इनाम दिया। इसके साथ ही नदी के किनारे पर घोड़े की मूर्ति लगाने का भी ऐलान किया।
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