इंदौर (Indore)। रेलवे ने मोरटक्का (खेड़ीघाट) में नर्मदा नदी पर बने छोटी लाइन के ऐतिहासिक विशालकाय ब्रिज को तोडऩा शुरू कर दिया है। यह ब्रिज महू-ओंकारेश्वर रोड छोटी लाइन पर बना है और इस लाइन का सबसे लंबा पुल है। अब यहां इंदौर-महू-सनावद-खंडवा ब्रॉडगेज प्रोजेक्ट के तहत नया ब्रिज बनाया जाएगा। माना जा रहा है कि नया ब्रिज बनने में लगभग डेढ़ साल लगेंगे। करीब नौ महीने पहले से नए ब्रिज के लिए निर्माण प्रक्रिया हो रही थी, लेकिन काम का मुहूर्त अब आ सका। ब्रिज की लंबाई 700 मीटर से ज्यादा बताई जाती है।
1875 में खंडवा से चोरल के बीच छोटी लाइन बिछाई गई थी और 1877 में इसका विस्तार इंदौर तक कर दिया गया। ब्रिज का आधा हिस्सा खंडवा और आधा हिस्सा खरगोन जिले की सीमा पर है। 1 फरवरी से पश्चिम रेलवे ने गेज कन्वर्जन के लिए महू से ओंकारेश्वर रोड स्टेशन का रेल रूट बंद कर दिया था, तभी से लोग नए ब्रिज का काम शुरू होने का इंतजार कर रहे थे, क्योंकि गेज कन्वर्जन के लिए पहला टेंडर इसी कार्य का हुआ है। नए ब्रिज की लागत लगभग 86 करोड़ रुपए आंकी गई है और यह 13 पिलर पर टिका होगा। महू-सनावद छोटी लाइन को बड़ी लाइन में बदलने का काम सबसे पहले सनावद से बलवाड़ा के बीच होना है, क्योंकि इस हिस्से में रेल लाइन के अलाइनमेंट में कोई बदलाव नहीं है। बलवाड़ा से महू के बीच डायवर्टेड रूट से बड़ी लाइन बिछाई जाएगी, जिसमें कई सुरंगें भी बनेंगी। यह काम सबसे आखिर में होगा।
पटरियां और जालियां निकालना शुरू
पहले चरण में ठेकेदार कंपनी ने गैस कटर की मदद से ब्रिज की पटरियां और आसपास लगी जालियां निकालने का काम शुरू कर दिया है। यह काम होने के बाद ब्रिज के गर्डर हटाए जाएंगे। आखिरी में पिलर तोड़े जाएंगे। उसके बाद नए ब्रिज के लिए फाउंडेशन और नए पिलर बनाने के काम शुरू होंगे। दिलचस्प यह भी है कि इंदौर-अकोला फोरलेन रोड प्रोजेक्ट के तहत नेशनल हाईवेज अथॉरिटी भी नर्मदा नदी पर नया सिक्स लेन पुल बना रही है और रोड पुल बनाने वाली कंपनी को ही रेल पुल बनाने का भी ठेका मिला है।
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