भोपाल। प्रदेश की राजधानी भोपाल में हवा की सेहत लगातार बिगड़ रही है। शनिवार रात को भोपाल शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 260 के पार पहुंच गया। रविवार सुबह 8 बजे शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 272 दर्ज किया गया, जो इस सीजन में सर्वाधिक है। अभी तो यह शुरूआत भर है। वायु प्रदूषण की वजह खुले में चल रहे निर्माण कार्यों को कवर्ड नहीं कराना, धूल वाले क्षेत्रों में पानी के छिड़काव का इंतजाम नहीं करना, खराब सड़कों को जल्दी ठीक नहीं कराना, कच्ची सड़कों को दो साल बाद भी पक्का नहीं करना, कचरे में लगाई जा रही आग की घटनाओं को नहीं रोक पाना और पुराने वाहन, कारखानों के धुएं को नियंत्रित नहीं कर पाना है। दरअसल, जिला प्रशासन और नगर निगम वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में नाकाम हो रहा है। 15 दिन से कटारा हिल्स, बर्रई, 11 मिल क्षेत्रों में पराली जलाई जा रही है। जिस पर सख्ती से रोक लगानी थी, जो नहीं लगाई गई। शहर में पुराने वाहनों पर कोई सख्ती नही है। ये हजारों की संख्या में राजधानी की सड़कों पर दौड़ रहे हैं। इनकी जांच तक शुरू नहीं की। शहर के कई हिस्सों में कचरा जलाया जा रहा है। इसकी निगरानी नहीं हो रही है। इसमें प्लास्टिक होता है, जिसके चलने से बहुत नुकसान होता है। छोटे से बड़े निर्माण कार्य खुले में हो रहे हैं। कुछ ने दिखावे के लिए चादरें लगाई हैं जिनकी उंचाई केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइडलाइन के अनुरूप कम है। धूल के कण वातावरण में फैल रहे हैं। इस पर कोई नियंत्रण नहीं है। कच्ची व उखड़ी सड़कों से धूल उड़कर वातावरण में मिल रही है। कोलार, कटारा हिल्स, भेल क्षेत्र में यह समस्या अधिक है। पानी के छिड़काव का कोई इंतजाम नहीं किया है। शहर के अंदर अभी भी कुछ छोटी इकाइयां काम कर रही हैं, जो तय मापदंड से अधिक धुआं छोड़ती हैं। उनकी निगरानी की व्यवस्था नहीं है।
कार्ययोजना बनाई क्रियान्वयन नहीं
शासन ने पर्यावरण, कृषि, नगरीय आवास, परिवहन व निर्माण विभागों को मिलाकर कार्ययोजना बनाई है। कुछ दिनों पूर्व मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक भी हुई थी लेकिन आज जब भोपाल शहर के आसपास पराली और कचरा जलाया जा रहा है उक्त कार्ययोजना कहीं नजर नहीं आ रही है। इस संदर्भ में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य, सचिव एए मिश्रा ने कहा कि ठंड गहराने के साथ वायु संघनन के साथ प्रदूषण में भी इजाफा देखा जाता है। वायु प्रदूषण कम करने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
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