भोपाल। मध्यप्रदेश में सीमांकन-बंटवारे में आने वाली परेशानी अब कम हो जाएगी। खेतों में फसलें खड़ी होने के बाद भी सीमांकन हो सकेगा। एक्यूरेसी अच्छी होने वाले जमीन विवादों में कमी आएगी। ये सब होगा भू अभिलेख विभाग की नई व्यवस्था से। विभाग ने अब रोवर मशीन से सीमांकन-बंटवारे की व्यवस्था कर दी है. इससे प्रदेश के 52 जिलों के 4 करोड़ 29 लाख 41 हजार 210 खसरों के जमीनी विवाद जल्द खत्म हो जाएंगे।
रोवर सिस्टम पर 56 हजार गांवों का नक्शा समेत अन्य जानकारी अपलोड कर दी है। अभी हर जिले को एक रोवर सिस्टम मशीन दी गई है। नई तकनीक में ज्यादा एक्यूरेसी होने से इलेक्ट्रॉनिक टोटल स्टेशन मशीन यानि ई.टीएसएम से होने वाले सीमांकन के काम को धीरे-धीरे बंद किया जाएगा। पहले जहां फिक्स प्वॉइंट पर बड़ी मशीन होती थी। अब नई व्यवस्था में रोवर मशीन बाइक पर भी ले जा सकेगी। इसकी एक्युरेसी अच्छी है। रोवर के साथ एक टैबलेट है। इसमें नक्शा अपलोड होता है। हर जिले में लगे टावर के जरिए ये सैटेलाइट से जुड़ी रहती है। सिस्टम को समझने के लिए हर जिले के एक.एक आरआइ को प्रशिक्षण दिया गया है। भू अभिलेख अधीक्षक शिवानी पांडेय ने बताया कि रोवर सिस्टम से सीमांकन का परीक्षण हाईवे किनारे किया गया है।
जियो रेफरेंसिंग पर करता है काम
भू.अभिलेख के अपर आयुक्त आशीष भार्गव ने बताया कि रोवर सिस्टम से किसी भी मौसम मेंं फसल जब खड़ी हो तब भी सीमांकन हो सकेगा। यह ऑटोमेटिक प्रक्रिया है। इसमें जियो रेफरेंसिंग का उपयोग होता है। इसकी एक्यूरेसी ईटीएसएम से बेहतर है। इस तकनीक से आम लोगों को कम समय में सटीक सीमांकन रिपोर्ट मिलेगी। रोवर खुद ही नक्शे डिटैक्ट करता है। यह सिस्टम अभी ट्रायल में है। इसमें और सुधार होने पर और एक्यूरेसी होगी। अभी हर जिले को 1-1 मशीन सैंपल के तौर पर दी गई है। इसे चलाने का प्रशिक्षण भी दिया है। इससे भूमि विवादों में कमी आएगी।
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