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मुसीबत के अहातों के साथ बंद होगी नेताओं और पट्ठों की तगड़ी कमाई

February 20, 2023

20 साल पहले शुरू की गई अहाता नीति का अग्निबाण ने किया लगातार विरोध, अब चुनाव और उमा भारती के विरोध के चलते लेना पड़ा निर्णय
इंदौर। विधानसभा चुनाव (assembly election) और उसके साथ तेजतर्रार भाजपा नेत्री उमा भारती (uma bharti) के शराब दुकानों (liquor shops) को लेकर किए जा रहे विरोध (protest) के मद्देनजर कल रात कैबिनेट बैठक (cabinet meeting) में महत्वपूर्ण निर्णय यह लिया गया कि अब शराब दुकानों के साथ चल रहे अहातों को बंद किया जाएगा और शॉप बार के लाइसेंस भी नहीं दिए जाएंगे। इंदौर में लगभग 127 अहाते बंद होंगे। 20 साल पहले शुरू की गई अहाता नीति का सबसे अधिक विरोध अग्निबाण ने ही किया और मुख्यमंत्री से लेकर इंदौर के स्थानीय नेताओं, जिसमें ताई भी शामिल रही ने अहातों को बंद करवाने की बात कही।


दरअसल शराब ठेकेदार के दबाव के चलते शिवराज सरकार ने ही बीयर बारों को बंद करवाकर शराब दुकानों के साथ ही अहाते चलाने के लाइसेंस देना शुरू कर दिए। शुरुआत से ही इस नीति का विरोध होने लगा, क्योंकि जगह-जगह शराबखोरी के अड्डे अहातों के रूप में खुल गए। अग्निबाण बीते 20 सालों से अहातों को लेकर लगातार खबरें प्रकाशित करता रहा और इंदौर में कुछ अहातों के घोटाले भी उजागर किए गए। मगर अब शिवराज सरकार की नींद खुली और उसने मुसीबत के इन अहातों को बंद करने का निर्णय लिया। हालांकि इससे शहर के तमाम नेताओं, उनके पट्ठों और कई असामाजिक तत्वों की तगड़ी कमाई मारी जाएगी। सभी शराब ठेकेदारों पर नेतओं द्वारा दबाव बनाए जाते रहे कि उनके पट्ठों को अहातों के संचालन का जिम्मा सौंपा जाए। इंदौर में ही अधिकांश अहाते नेताओं के पट्ठे या गुंडे-बदमाश चला रहे हैं, जो चुनाव से लेकर अन्य मदद भी करते हैं, क्योंकि अहातों से तगड़ी लाखों रुपए की कमाई होती है, जो अब अब अहातों के साथ ही बंद हो जाएगी।


गुपचुप अहातों के लाइसेंस भी हुए जारी, तो शॉप बार नाम दे डाला
पहले अहाता नीति घोषित की, उसके बार फिर शॉप बार के नाम पर भी इस तरह के लाइसेंस बांट दिए। इंदौर सहित प्रदेशभर में 2600 से ज्यादा अहाते और शॉप बार चल रही है, जो अब एक अप्रैल से बंद हो जाएगी। इंदौर में तो अवैध अहाते भी खुले और शॉप बार का भी फर्जीवाड़ा कम नहीं हुआ। जब अग्निबाण ने 2009 में इस तरह के घोटाले उजागर किए तो कुछ अहाते मुख्यमंत्री के निर्देश पर निरस्त भी हुए और तब की सांसद सुमित्रा महाजन ताई ने भी इसका जमकर विरोध किया और रेसीडेंसी कोठी पर प्रबुद्धजनों की बैठक भी बुलाई, जिसमें अहातों को लेकर सभी ने तीखा विरोध दर्ज करवाय था।

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