गोरखपुर (gorakhpur) । एलएचबी कोच (LHB coach) की ट्रेनों (trains) के लिए आठ फुट का गार्ड (Railway Guard) चाहिए। जाहिर है ये मुश्किल ही नहीं लगभग नामुमकिन है। सो यहां गार्ड साहब कभी किसी साथी तो कभी यात्री को कंधे पर बिठाकर बोर्ड लगवाते नज़र आते हैं। वे जब तक ऐसा न करें ट्रेन आगे नहीं बढ़ती। इस कोच की ट्रेनों में एलवी (लास्ट वेहिकिल लैंप) लगाना सामान्य लंबाई वाले गार्ड के लिए संभव नहीं है। यदि किसी वजह से गार्ड बोर्ड नहीं लगा सके तो ट्रेन आगे नहीं बढ़ेगी। लिहाजा मजबूरन, गार्ड किसी न किसी जुगाड़ से बोर्ड लगाते हैं।
शुक्रवार को शहीद एक्सप्रेस में यह दिलचस्प तस्वीर देखने को भी मिली। गोरखपुर जंक्शन के प्लेटफार्म नम्बर पांच पर जब ट्रेन आई तो ट्रेन मैनेजर शीतल प्रसाद ने बैग से एलवी बोर्ड निकाला और एक यात्री से अनुरोध कर ट्रैक पर ले गए। मैनेजर के अनुरोध पर यात्री ने पूरा जोर लगाकर उन्हें ऊपर उठाया तब जाकर एलवी बोर्ड लग पाया। दरअसल पारंपरिक बोगियों वाली ट्रेनों में गार्ड यान में हुक महज पांच फुट की ऊंचाई पर होता है। इसमें गार्ड आराम से बोर्ड लगा देते हैं लेकिन एलएचवी कोच में हुक की ऊंचाई साढ़े आठ फुट है वह भी प्लेटफार्म से उल्टी दिशा में। ऐसे में गार्डों को मजबूरन टैक पर उतर दूसरी तरफ जाना होता है और दूसरे की मदद लेनी पड़ती है।
कई बार कर चुके हैं विरोध
गार्ड इस तरह के हुक का कई बार अफसरों से शिकायत कर चुके हैं लेकिन कोई बदलाव नहीं हुआ। अब गार्डों का कहना है कि कम से कम आठ फुट लम्बे गार्ड ही अकेले एलवी बोर्ड लगा सकेंगे। इससे कम लम्बाई वाले गार्डों को ड्यूटी के समय एक सहायक रखना होगा तभी वह बोर्ड लगा पाएगा। जुगाड़ से कब तक काम चलाएं।
एलवी बोर्ड लगाना जरूरी
हर ट्रेन के आखिरी कोच यानी कि गार्ड यान के पीछे एलवी बोर्ड लगाना जरूरी होता है। इसे लगाने का आशय यह है कि इसके पीछे कोई और कोच नहीं है और न ही जोड़ा जाएगा।
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