उज्जैन। पिछले कुछ सालों से लगातार शहर का जल स्तर नीचे गिरता जा रहा है और गत वर्ष गर्मी में यह सामान्य से 4 मीटर नीचे चला गया था। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में भारी गर्मी पड़ेगी..ऐसे में भविष्य क्या होगा कुछ नहीं कह सकते। पेयजल को लेकर न तो नगर निगम और न ही अधिकारी एवं न ही जनता गंभीर है तथा इसका खामियाजा जल्द ही भुगतना होगा। वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की योजना भी फेल हो चुकी है। हालांकि अभी भूमिगत जल का स्तर संतोषजनक है। शहर तथा जिले में भूजल का भंडार तेजी से खाली हो रहा है। अभी फरवरी माह में ही यह स्थिति है कि जिले में 2 मीटर तक पानी कुओं में उतर चुका है यह आंकड़े भूजल विभाग द्वारा किए गए सर्वे में सामने आए हैं सबसे ज्यादा स्थिति बडऩगर की खराब है यहां गत वर्ष 5 मीटर से ज्यादा भूजल स्तर फरवरी माह में गिर गया था। सरकार हर साल वाटर हार्वेस्टिंग और रिचार्ज का ढिंढोरा पिटती है लेकिन धरातल पर देखा जाए तो काम कुछ नहीं हुआ है और उस पर जिले में बारिश भी रिमझिम हुई नहीं हुई है इस कारण भूजल स्तर इतना नहीं सुधर पाया है और पानी का दोहन लगातार कृषि एवं अन्य कार्यों तथा पेयजल में बड़े पैमाने पर हो रहा है, इसके चलते जिले का भूजल भंडार फरवरी में ही तेजी से गिरने लगा है। गर्मी आते आते स्थिति और विकट हो जाएगी सबसे ज्यादा खराब स्थिति बडऩगर की है यहां यदि फरवरी 2021 की बात की जाए तो वर्तमान में भूजल स्तर 11.10 मीटर फरवरी माह के सर्वे में सामने आया है जो पिछले वर्ष 2021 में 6.05 मीटर था मतलब साफ है कि बडऩगर का भूजल स्तर इस वर्ष 5 मीटर से अधिक गिरा है।
इसके अलावा जिले में घटिया तहसील की स्थिति भी काफी खराब है। यहां पिछले वर्ष फरवरी माह के दौरान भूजल स्तर 6.30 था जो इस वर्ष बढ़कर 11 .05 हो गया है इसके अलावा खाचरौद में भी जलस्तर 5 मीटर गिरा है। यहां पिछले वर्ष की स्थिति में भूजल स्तर6.24 मीटर था जो इस वर्ष बढ़कर 11.24 हो गया है वही तराना की स्थिति भी अच्छी नहीं है। यहां पर भी भू जल स्तर 4 मीटर के करीब गिरा है। जिले की औसत स्थिति की बात की जाए तो पिछले साल फरवरी माह में भूजल स्तर 6 .20 मीटर से जो इस बार फरवरी माह में 10. 7 4 मीटर है अर्थात 4 मीटर के करीब पूरे जिले में जल स्तर गिरा है। भूजल काया भंडार फरवरी माह में ही इस प्रकार गिरा हुआ है तो अभी 4 महीने जो भीषण गर्मी के रहने वाले हैं जो निकालने हैं। तब तक संभावना है कि यह जलस्तर 7 से 8 मीटर तक गिर सकता है। ऐसे में जिले में जल संकट की स्थिति बन सकती है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि जल का दोहन चाहे वह कृषि हो या पेयजल या औद्योगिक उपयोग सभी में जितनी तेजी से हो रहा है। उतना भूजल भंडार बढ़ाने में रिचार्ज और वाटर हार्वेस्टिंग पर प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है इसके चलते आने वाले दिनों में स्थिति भयावह हो सकती है। इसको देखते हुए सरकार को वाटर हार्वेस्टिंग तथा रिचार्ज पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए और जिले में सबसे अधिक ध्यान बडऩगर तहसील तथा घटिया और खाचरोद तराना में इस पर ध्यान देना होगा नहीं तो यहां आने वाले दिन पानी के लिए काफी खतरनाक हो सकते हैं। वैसे आंकड़ों से साबित होता है कि पूरे जिले में ही स्थिति खराब है। शिप्रा नदी में भी स्नान पर्वों पर ठंड के दिनों में भी नर्मदा का पानी छोडऩा पड़ रहा है। हाल ही में दीपोत्सव के दौरान नर्मदा का पानी मंगाया गया था।
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