भोपाल। भोपाल (Bhopal) स्मारक अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र (बीएमएचआरसी) में गुरुवार को मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने सिकल सेल एनीमिया सक्षमता केंद्र में स्थापित आनुवंशिक विश्लेषण प्रयोगशाला एवं प्रदेश की पहली डीएनए सीक्वेंसर मशीन का लोकार्पण किया। साथ ही सिकल सेल एनीमिया के प्रबंधन में आनुवंशिक विश्लेषण और एकीकृत दृष्टिकोण विषय पर संगोष्ठी का शुभारंभ भी किया।
राज्यपाल ने इस दौरान सिकल सेल से पीड़ित कुछ बच्चों से मुलाकात की और उनका कुशलक्षेम जााना। कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री कुंवर विजय शाह, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक डॉ. सलोनी सिडाना, आईसीएमआर- राष्ट्रीय प्रतिरक्षा रुधिर विज्ञान संस्थान, मुंबई की निदेशक डॉ. मनीषा मडकईकर, और बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव उपस्थित रहीं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल कार्यक्रम से वर्चुअली जुड़े। साथ ही सिकल सेल से पीड़ित कई मरीज व उनके अभिभावक भी कार्यक्रम में शामिल थे।
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2047 तक सिकल सेल को भारत से खत्म करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने की जिम्मेदारी हम सभी की है। जहां भी लोगों के सिकल सेल से प्रभावित होने की आशंका है, वहां लोगों की जांच कराओ। जो बीमारी से ग्रसित पाए जाते हैं, उनको दवा दिलाओ।
सिकल सेल उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बीएमएचआरसी द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए राज्यपाल ने कहा कि चूंकि सिकल सेल एक अनुवांशिक बीमारी है, इसलिए इसका उन्मूलन जटिल और चुनौतीपूर्ण कार्य है। हमारे वैज्ञानिकों ने जीन स्तर के विश्लेषण द्वारा रोग की जड़ तक पहुंचकर रोग उन्मूलन के लिए कार्य करने का अभूतपूर्व अवसर उपलब्ध कराया है। उन्होंने कहा कि सिकल सेल के उन्मूलन के लिए किए जा रहे प्रयासों में डीएनए सीक्वेंस मशीन की स्थापना एक सकारात्मक पहल है। यह मशीन सिकल सेल रोग से संबंधित चुनौतियों और जटिलताओं को समझने और समाधान खोजने में सहायक सिद्ध होगी।
सिकल सेल बीमारी के बारे में जनजागरूकता लाने के लिए राज्यपाल मंगुभाई पटेल के प्रयासों को अभूतपूर्व बताते हुए जनजातीय कार्य मंत्री कुंवर विजय शाह ने कहा कि सिकल सेल एक अद्भुत और अनोखी बीमारी है, लेकिन पहले बीमारी से ग्रस्त बच्चों और उनके माता-पिता को इसके बारे में पता ही नहीं था। राज्यपाल के प्रयासों से लोगों में काफी जागरूकता आई है। सिकल सेल से चल रही लड़ाई को जीतने के लिए हम काफी कुछ कर सकते हैं। राज्यपाल महोदय से प्रेरणा लेकर हम इस दिशा में काम करते रहेंगे।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने वर्चुअल संदेश में कहा कि बीएमएचआरसी को मध्य भारत में सिकल सेल एनीमिया के लिए सक्षमता केंद्र के रूप में विकसित किया गया है। यह केंद्र सिकल सेल स्क्रीनिंग, निदान, उपचार और अनुसंधान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बीएमएचआरसी ने सिकल सेल रोग की स्क्रीनिंग और निदान के लिए पूर्ण रूप से कार्यशील प्रयोगशाला विकसित की है और अब तक 800 से अधिक जनजातीय विद्यार्थियों के नमूनों की जांच की जा चुकी है।
उन्होंने कहा कि आईसीएमआर सिकल सेल उन्मूलन मिशन के लिए न केवल सेवाएं प्रदान करेगा, बल्कि ऐसे अनुसंधान भी करेगा जो यह समझने में मदद करें कि इस रोग में अंगों को होने वाले नुकसान को कैसे रोका जा सकता है। साथ ही सिकल सेल के मरीजों को होने वाले दर्द को दूर करने के लिए बीमारी से लड़ने के लिए नई दवाओं के क्लिनिकल ट्रायल किए जाएंगे।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (मप्र) की निदेशक डॉ. सलोनी सिडाना ने कहा कि सिकल सेल उन्मूलन के लिए किए जा रहे प्रयासों का असर अब दिखने लगा है। प्रदेश के डिंडोरी, झाबुआ, अलीराजपुर जैसे जिलों में लोग शादी तय करने से पहले सिकल सेल स्टेटस पूछ रहे हैं। सिकल सेल के खिलाफ इस लड़ाई में अब हमें स्वयंसेवी संस्थाओं, महिला बाल विकास विभाग, जनजातीय विभाग का सहयोग प्राप्त हो रहा है। कई अन्य संगठन भी हमसे जुड़ना चाहते हैं। मध्यप्रदेश में अब तक 1 करोड़ से अधिक लोगों की सिकल सेल की स्क्रीनिंग हो चुकी है। भारत सरकार ने जो लक्ष्य तय किए थे, उनको पूरा करने वाला मप्र पहला राज्य है।
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