चंडीगढ़। पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार (Aam Aadmi Party Government of Punjab) 22 सितंबर को विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र (special session) बुलाकर विश्वास मत हासिल करना चाहती थी। पंजाब AAP ने आरोप लगाया था कि भाजपा सूबे की सरकार गिराने की कोशिश कर रही है। हालांकि, अब राज्यपाल ने विशेष सत्र को रद्द कर दिया है। गवर्नर बनवारीलाल पुरोहित (Governor Banwarilal Purohit) ने कहा है कि इस तरह का विशेष सत्र बुलाना विधानसभा के नियम में नहीं है। राज्यपाल ने कहा कि 20 सितंबर को जो आदेश दिया गया था, उसे वापस लिया जाता है।
राज्यपाल के आदेश वापस लेने के बाद आम आदमी पार्टी भड़क गई है। पार्टी ने कहा है कि यह लोकतंत्र की हत्या का एक और नमूना है। प्रताप बाजवा अमित शाह के निर्देश पर काम कर रहे हैं। राज्यपाल को इसमें हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है और यह भारतीय लोकतंत्र में शर्मनाक घटना है।
117 सीटों वाली पंजाब विधानसभा में आम आदमी पार्टी के पास 92 विधायक हैं और उसे पूर्ण बहुमत हासिल है। वहीं कांग्रेस के 18 विधायक हैं। शिरोमणि अकाली दल के तीन और भाजपा के केवल दो विधायक हैं। भगवंत मान ने कहा था कि लोगों ने उनकी सरकार को बहुमत दिया है लेकिन कुछ ताकतें दौलत के दाम पर उनके विधायकों को लुभाने में लगी हुई हैं। इसी वजह से विशेष सत्र बुलाकर भरोसा हासिल किया जाएगा।
आम आदमी पार्टी ने कहा था कि भाजपा ने उसके करीब 10 विधायकों से संपर्क किया है और उन्हें 25-25 करोड़ रुपये का लालच दिया है। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा था कि कैबिनेट की सिफारिश को संविधान के अनुच्छेद 174 (1) के तहत विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल को भेजा जाएगा। वहीं भाजपा ने आम आदमी पार्टी की सरकार को घेरते हुए कहा था कि पंजाब की जनता का ध्यान सरकार की नाकामी से हटाने के लिए इस तरह की ‘राजनीतिक धोखेबाजी’ की जा रही है।
विशेष सत्र के लिए स्पीकर की तरफ से विप भी जारी कर दी गई थी। कहा गया था कि सभी आप विधायक कार्यवाही के दौरान सदन में मौजूद रहें। पूर्व डिप्टी स्पीकर वीर देवेंद्र सिंह ने भी इस विशेष सत्र को अवैध बताया था और कहा था कि विधानसभी नियमों की जांच होनी चाहिए। वहीं विधानसभा अध्यक्ष ने कहा था कि सरकार जब चाहे विश्वास मत हासिल कर सकती है।
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