भोपाल। कांग्रेस करीब 9 साल बार एक बार फिर शिवराज सरकार के खिलाफ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई है। कांग्रेस ने 51 बिंदुओं पर सरकार पर अविश्वास जताया है। इस प्रस्ताव पर विधासभा अध्यक्ष गिरीश गौतम सदन में चर्चा करा सकते हैं। ऐसे में विपक्ष के आरोपों का जवाब देने के लिए सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। प्रस्ताव की सूचना के बाद सभी विभागों के अफसरों को देर रात तक कार्यालय नहीं छोडऩे का फरमान था। सोमवार शाम मुख्यमंत्री निवास पर हुई विधायक दल की बैठक में भी मुख्यमंत्री ने विधायकों से पूरी ताकत से आरोपों का जवाब देने के लिए तैयार रहने को कहा है।
कांग्रेस 6 जुलाई 2013 के बाद शिवराज सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाई है। तब नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने जैसे ही सदन में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बोलना शुरू किया उससे पहले ही कांग्रेस के विधायक रहे चौधरी राकेश सिंह ने ही अविश्वास प्रस्ताव पर अविश्वास जता दिया था। इसके बाद चौधरी भाजपा में आ गए। 9 साल बाद गोविंद सिंह अविश्वास प्रस्ताव ला रहे हैं। खबर तो यह भी है कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा से पहले कांग्रेस से कोई ‘चौधरीÓ सामने आ सकता है।
उपायुक्त को जिस कुर्सी पर घूस लेते पकड़ा, सरकार ने उसी पर बैठाया
वाणित्यक कर विभाग भ्रष्ट अफसरों पर किस तरह से मेहरबान है, इसका अंदाजा वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा द्वारा विधानसभा में दिए गए जवाब से लगाया जा सकता है। मंत्री ने कांग्रेस विधायक निलय डागा के सवाल के जवाब में सदन में आज बताया कि वाणिज्यिक कर उपायुक्त प्रदीप कुमार सिंह को लोकायुक्त ने रिश्वत लेते पकड़ा था। लोकायुक्त ने मार्च 2014 में उनके खिलाफ चालान पेश कर दिया है। इसके बाद विभाग ने उन्हें जीएडी की तबादला नीति के तहत भोपाल में उपायुक्त पदस्थ कर दिया है।
मंत्री देवड़ा ने बताया कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि भ्रष्टाचार के आरोपी अफसर को किसी स्थान विशेष में पदस्थ करें या नहीं। खास बात यह है कि वाणिज्यिक कर विभाग ने पीके सिंह को 2 दिसंबर 2015 को अपर आयुक्त कार्यालय भोपाल परिक्षेत्र में पदस्थ किया था, लेकिन मंत्री ने बताया कि उनकी पदस्थापना में तबादला नीति 2022 का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है।
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