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    सरकार ने 32 लाख पूर्व सैनिकों के लिए उठाया ‘ऐतिहासिक’ कदम, सेहत को देखते हुए लिया ये बड़ा फैसला

  • October 23, 2024

    नई दिल्ली। सरकार ने 32 लाख पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों के लिए एक बड़ा फैसला किया है। भूतपूर्व सैनिकों की सेहत से जुड़ी समस्याओं को देखते हुए सरकार ने फैसला किया है कि ऐसे भूतपूर्व सैनिक जो ईसीएचएस यानी एक्स-सर्विसमैन कॉन्ट्रीब्यूट्री हेल्थ स्कीम के लाभार्थी हैं, उन्हें एक ही रेफरल में पॉलीक्लिनिक में कई बार आने की बजाए एक ही बार में सभी तरह के टेस्ट रेफरल हॉस्पिटल में कराए जा सकेंगे। यानी कि वेटरंस को हर टेस्ट के रेफरल के लिए पॉलीक्लिनिक आने की जरूरत नहीं होगी। सरकार के फैसले को उन पूर्व सैनिकों के लिए ‘दीपावली गिफ्ट’ माना जा रहा है, जो किसी न किसी बीमारी से पीड़ित हैं और इलाज के लिए अस्पतालों और पॉलीक्लिनिकों के चक्कर काटते हैं।

    18 अक्तूबर को जारी (रेफरेंस नंबर- ईसीएचएस/आरसीएच/4076/पॉलिसी/मेड) पत्र में कहा गया है कि भूतपूर्व सैनिक को अब बार-बार टेस्ट के लिए पॉलीक्लिनिक के चक्कर नहीं काटने होंगे। नए आदेश के तहत अगर कोई भी इन्वेस्टिगेशन या जांच 3000 या उससे ज्यादा कॉस्ट की है जिसमें सीटी स्कैन, एमआरआई स्कैन, पीईटी स्कैन या कोई भी इन्वेस्टिगेशन शामिल हैं, तो पहले उन टेस्टों का रेफरल लेने के लिए पॉलीक्लिनिक आना पड़ता था। लेकिन अब जिस इम्पैनल अस्पताल में रेफरल किया गया गया है, वहीं पर ही टेस्ट और सारे इन्वेस्टिगेशन हो जाएंगे। वहीं यह रेफरल अब तीन महीने के लिए लागू होगा। साथ ही, पहले यह सुविधा केवल सीनियर सिटीजन तक ही सीमित थी, लेकिन अब इसे सभी ईसीएचएस लाभार्थियों के लिए लागू कर दिया गया है। पत्र में कहा गया है कि ये टेस्ट पैनलबद्ध अस्पताल सुपर स्पेशलिस्ट/विशेषज्ञ द्वारा ही तय किए जाने चाहिए। कोई भी अनावश्यक टेस्ट निर्धारित या किया नहीं जाना चाहिए।

    इससे पहले चार अक्तूबर को रक्षा मंत्रालय की ईसीएचएस एडजुटेंट जनरल ब्रांच (बी/49769/एजी/ईसीएचएस) की तरफ से एक पत्र जारी किया गया था, जिसमें ईसीएचएस में रेफरल प्रक्रिया के लिए संशोधित दिशानिर्देशों पर स्पष्टीकरण जारी किए गए थे। इसमें रेफरल सिस्टम को लेकर कहा गया था कि पहले एक रेफरल एक महीने के लिए वैध होता था, और प्रत्येक रेफरल के साथ, आप एक महीने में एक अस्पताल में एक ही स्पेशलिस्ट से तीन बार या एक समय में तीन अलग-अलग स्पेशलिस्टों से कंसल्ट कर सकते थे। जिसके बाद इस रेफरल सिस्टम में संशोधर करते हुए इसे एक महीने के बजाय तीन महीने के लिए वैध कर दिया गया।

    वहीं पहले उपर्युक्त रेफरल के साथ एक मरीज एक ही अस्पताल में किसी स्पेशलिस्ट से अधिकतम छह बार कंसल्ट कर सकता है। जैसे यदि किसी मरीज को हृदय रोग विशेषज्ञ के पास रेफर किया जाता है और मरीज एक अस्पताल चुनता है और हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श करता है, तो वह उसी डॉक्टर या उसी विशेषता वाले किसी अन्य डॉक्टर को उसी अस्पताल में छह बार दिखा सकता है।

    साथ ही, यदि आपको जिस प्राइमरी स्पेशलिस्ट के पास रेफर किया गया है, वह आपको किसी अन्य स्पेशलिस्ट के पास रेफर करता है, तो आप प्राइमरी स्पेशलिस्ट सहित तीन ऐसे स्पेशलिस्टों को दिखा सकेंगे। जैसे कि यदि पॉलीक्लिनिक आपको हृदय रोग विशेषज्ञ के पास रेफर करता है। और वह आपको नेफ्रोलॉजिस्ट और पल्मोनोलॉजिस्ट के पास रेफर करता है, तो यह एक ही अस्पताल में तीन कंसल्टेशन के बराबर है। रोगी के पास 3 और कंसल्टेशन बचे हैं, जिनका उपयोग वह तीन महीनों में कभी भी कर सकता है। वहीं, कैंसर (रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी आदि), डायबिटीज, हाइपरटेंशन और अन्य हृदय रोगों के लिए रेफरल पहले की तरह 180 दिनों के लिए वैध है।

    पत्र में 70 साल और उससे अधिक की उम्र वाले लाभार्थियों के लिए भी यह सुविधा उपलब्ध रहेगी। पहले इसकी आयु सीमा 75 साल थी। जिसके तहत 70 वर्ष से अधिक आयु वाले पूर्व सैनिक ईसीएचएस से रेफरल के बिना ईसीएचएस के तहत इम्पैनल्ड प्राइवेट अस्पतालों के स्पेशलिस्टों से सीधे ओपीडी कंसल्टेशन ले सकेंगे। यदि इमरजेंसी में किसी टेस्ट या प्रोसिजर की सलाह दी जाती है तो बिना किसी अनुमति के यह टेस्ट या प्रोसिजर कराए जा सकते हैं। हालांकि, नॉन-इमरजेंसी हालात में सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति लेनी होगी। लेकिन यह केवल तभी आवश्यक है जब कोई गैर-सूचीबद्ध टेस्ट या प्रोसिजर की सलाह दी जाती है। सूचीबद्ध प्रोसिजर के लिए किसी रेफरल की आवश्यकता नहीं है।


    वहीं, पिछले रेफरल नियमों में, 75 वर्ष से कम आयु के किसी भी व्यक्ति को सभी सूचीबद्ध जांच या प्रक्रियाओं के लिए रेफरल लेने के लिए पॉलीक्लिनिक में वापस आना पड़ता था, जो केवल एक महीने के लिए वैध था। सीजीएचएस ने इस प्रावधान में संशोधन करते हुए कहा है कि सीटी स्कैन, एमआरआई स्कैन, पीईटी स्कैन या 3000 रुपये से अधिक की लागत वाली किसी भी अन्य जांच के अलावा किसी भी जांच या छोटी प्रक्रियाओं के लिए रेफरल की आवश्यकता नहीं है। वेटरंस की मदद करने और उन्हें एक ही रेफरल में पॉलीक्लिनिक में बार-बार आने से होने वाली दिक्कतों को देखते हुए अस्पताल सभी टेस्ट (सीटी स्कैन, एमआरआई स्कैन, पीईटी स्कैन या 3000 रुपये से अधिक की लागत वाले कोई भी टेस्ट) कर सकता है। वहीं बोल्ड अक्षरों में लिखा गया है कि इन टेस्टों को सुपर स्पेशलिस्ट/विशेषज्ञ द्वारा ही तय किया जाना चाहिए। 3000 रुपये की लिमिट और स्पेशिलाइज्ड टेस्ट के प्रोविजन वेटरंस और 70 साल से ऊपर के लाभार्थियों पर लागू नहीं होंगे। हालांकि जो भी दवाएं इम्पैनल्ड अस्पताल की तरफ से प्रेस्क्राइब की जाएंगी, उन्हें पॉलीक्लिनिक से ही कलेक्ट करना होगा।

    साथ ही, प्राइवेट अस्पताल में किसी भी भर्ती के लिए रेफरल की जरूरत होती है, जब तक कि इमरजेंसी न हो और ओआईसी पॉलीक्लिनिक ईआर को मंजूरी न दे। पॉलिसी के मुताबिक गंभीर रूप से बीमार ईसीएचएस लाभार्थियों को ईसीएचएस पैनलबद्ध अस्पतालों में फॉलो अप ट्रीटमेंट की अनुमति दी जाएगी। वहीं, पोस्ट-ऑपरेटिव फॉलो अप ट्रीटमेंट के लिए ईसीएचएस के तहत सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में स्पेशलिस्ट से बार-बार कंसल्टेशन की जरूरत वाले ऑपरेशन के बाद की स्थितियों को समय-समय पर री-वैलिडेट करने की जरूरत नहीं है और बिना समय सीमा के सीजीएचएस दरों पर फॉलो अप ट्रीटमेंट लिया जा सकता है। इनमें कोरोनरी एंजियोप्लास्टी सहित पोस्ट कार्डियक सर्जरी मामले, अंग प्रत्यारोपण के बाद के मामले (लीवर, किडनी, हार्ट आदि), पोस्ट न्यूरो सर्जरी मामले/पोस्ट ब्रेन स्ट्रोक मामले, जिनमें नियमित फॉलो अप ट्रीटमेंट की आवश्यकता होती है। इसके अलावा अंतिम चरण के गुर्दे की बीमारी/लीवर फेल्योर के फॉलो-अप मामले, कैंसर, रुमेटॉयड ऑर्थेराइटिस, ऑटो-इम्यून डिस्ऑर्डर, न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर में डिमेंशिया, अल्जाइमर रोग, पार्किंसंस आदि में फॉलो अप ट्रीटमेंट लिया जा सकता है।

    वहीं, अगर अस्पताल की तरफ से कोई गैर-सूचीबद्ध टेस्ट/प्रोसिजर की सलाह दी जाती है, तो आपातकालीन स्थिति को छोड़कर सक्षम प्राधिकारी से अनुमति/रेफरल की आवश्यकता होगी। 5000 रुपये से कम की कोई भी जांच पहले की तरह बिना अनुमति के की जा सकती है। सूचीबद्ध सुविधा का लाभ पाने के लिए ऑनलाइन अप्रूवल प्रोसेस का प्रयोग किया जा सकता है। वहीं, गैर-सूचीबद्ध टेस्ट के लिए अप्रूवल लेने के लिए रोगी या उनके रिश्तेदारों को परेशान नहीं किया जाएगा। वहीं, किसी भी सर्विस स्पेशलिस्ट या सरकारी अस्पताल के स्पेशलिस्ट की तरफ से सुझाए गए किसी भी सूचीबद्ध/असूचीबद्ध टेस्ट या प्रोसिजर के लिए ECHSF-U की स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती है। सूचीबद्ध अस्पताल या डायग्नोस्टिक इसे पूरा करेगा और मरीज को परेशान नहीं करेगा या स्वीकृति के लिए ECHS-U को नहीं भेजेगा।

    बता दें कि हाल ही में सरकार ने ECHS के अंतर्गत 40 निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम और डायग्नोस्टिक सेंटरों को शामिल किया है। यह फैसला 24 मई, 2024 को आयोजित 69वीं स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में लिया गया था। 2003 में शुरू हुई ECHS सेवा रिटायर्ड सैनिकों के लिए लाइफ-लाइन है। यह योजना न केवल भूतपूर्व सैनिकों बल्कि उनके परिवारों को भी कवर करती है। देशभर में इसके 30 रीजनल सेंटर और 427 पॉलीक्लिनिक हैं, जो सैन्य चिकित्सा सुविधाओं और सूचीबद्ध निजी अस्पतालों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा प्रदान करता है।

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