इंदौर। सुपर कॉरिडोर पर कुछ वर्ष पूर्व दो आईटी कम्पनियों टीसीएस और इन्फोसिस को 230 एकड़ जमीन प्राधिकरण से लेकर शासन ने आबंटित की थी और इनके बदले नकद मुआवजा तो प्राधिकरण को नहीं मिला, बल्कि शासन ने 95 हेक्टेयर यानी 225 एकड़ छोटा बांगड़दा और नैनोद की सरकारी जमीन राजस्व विभाग से आबंटित करवा दी, जो कि प्राधिकरण की योजना 172 में शामिल की गई और इस पर 10 हजार की क्षमता वाला विशाल कन्वेंशन सेंटर निर्मित होना है। मगर वन विभाग इस जमीन को अपनी बताता रहा है और कब्जा छोडऩे को तैयार नहीं। जबकि आला अफसरों के बीच भी इस मामले में बैठकें हो चुकी हैं। संभागायुक्त और प्राधिकरण अध्यक्ष दीपक सिंह ने कल इस विषय के साथ-साथ सुपर कॉरिजडोर और अहिल्या पथ पर घोषित टीपीएस योजनाओं का दौरा भी किया।
संभागायुक्त श्री सिंह ने विकास कार्यों में आ रही बाधाओं को शीघ्र दूर करने हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। संभागायुक्त ने प्रस्तावित कन्वेंशन सेंटर के निर्माण स्थल का भी निरीक्षण किया। उन्होंने इंदौर विकास प्राधिकरण के सुपर कॉरिडोर और उसके आसपास की योजनाओं के क्षेत्र का भी निरीक्षण किया। साथ ही प्राधिकरण द्वारा प्रस्तावित नवीन अहिल्यापथ योजना के अंतर्गत ड्डश्च1 से 5 तक योजनाओं का स्थल निरीक्षण किया। निरीक्षण में प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री राम प्रकाश अहिरवार के द्वारा सुपर कॉरिडोर पर किए जा रहे विकास कार्यों की विस्तृत जानकारी दी गई। उन्होंने टीपीएस 10 योजना की प्रगति के बारे में भी अवगत कराया।
संभागायुक्त श्री सिंह ने सुपर कॉरिडोर की मिसिंग लिंक के संबंध में चर्चा करते हुए संबंधित जमीन मालिकों को बुलाकर चर्चा करने के निर्देश दिए गए। इस अवसर पर प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। दूसरी तरफ प्राधिकरण एक तरह से अपनी करोड़ों रुपए की जमीन शासन को देकर ठगा गया, जो टीसीएस और इन्फोसिस को दी गई है। हालांकि कुछ समय पूर्व इन्फोसिस को दी गई 130 एकड़ जमीन में से शासन ने 50 एकड़ वापस भी ले ली। मगर उसे प्राधिकरण को नहीं दिया और इसके बदले छोटा बांगड़दा और नैनोद की सरकारी जमीन आबंटित कर दी, जिस पर वन विभाग अपना स्वामित्व जताता रहा है। खसरा नम्बर 322 और 334 की यह जमीन राजस्व विभाग ने आबंटित की और तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह ने भी इन जमीनों को लेकर जो विस्तृत आदेश जारी किया था उसमें नैनोद की जमीन सर्वे नम्बर 322 और 334 को राजस्व विभाग की ही बताया और अधिसूचित रक्षित वन की श्रेणी में इन जमीनों को नहीं माना। मगर वन विभाग ने आज तक 22 अप्रैल 2022 के कलेक्टर के आदेश को नहीं माना और नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच भी भोपाल में इस मामले को लेकर बैठक हो चुकी है।
मगर वन विभाग ने अभी तक इस जमीन पर काम करने की अनुमति प्राधिकरण को नहीं दी है, जिसके चलते कन्वेंशन सेंटर प्रोजेक्ट उलझा पड़ा है, जिसको निर्मित करने का बोर्ड संकल्प भी 6 फरवरी 2023 को पारित कर दिया था। ड्राइंग-डिजाइनिंग से लेकर कंसल्टिंग फर्म का चयन कर इस प्रोजेक्ट पर प्राधिकरण ने पूरा काम कर लिया। सीईओ रामप्रकाश अहिरवार का कहना है कि जैसे ही वन विभाग की आपत्ति खत्म हो तो हम तुरंत टेंडर बुलाकर कन्वेंशन सेंटर का निर्माण शुरू करवा देंगे।
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