इंदौर। रियल इस्टेट कारोबार इंदौर के साथ-साथ उज्जैन, रतलाम सहित कई जिलों में बीते सालभर में तेजी से बढ़ा है, जिसके चलते शासन को शराब ठेकों से चार गुना ज्यादा आय सम्पत्तियों के पंजीयन यानी स्टाम्प ड्यूटी से हासिल हुई है। अभी समाप्त हुए वित्त वर्ष में पंजीयन विभाग की दर वृद्धि 16.08 प्रतिशत रही, तो आबकारी विभाग की दर वृद्धि सिर्फ 4.42 फीसदी ही थी। इंदौर पंजीयन विभाग को भी आज शासन से इस चालू वित्त वर्ष का राजस्व अर्जित करने का लक्ष्य हासिल होगा, जो कि 2800 करोड़ से अधिक ही रहेगा। अभी अप्रैल के माह में भी बढ़ी हुई गाइडलाइन के साथ अच्छी संख्या में रजिस्ट्रियां हो रही हैं।
बीते वित्त वर्ष में 2415 करोड़ रुपए का राजस्व इंदौर से शासन को हासिल हुआ और पौने 2 लाख से अधिक सम्पत्तियों की रजिस्ट्रियां हुई। यहां तक कि अवकाश के दिनों में भी दफ्तर चालू रहे और रंगपंचमी पर भी रजिस्ट्रियां की गई। दूसरी तरफ शराब ठेकों को नीलाम करने में शासन को पसीने भी छूटे, क्योंकि इंदौर सहित कई जिलों के ठेके अब अत्यधिक महंगे हो गए हैं। शासन के वाणिज्य कर विभाग ने 75 हजार करोड़ से अधिक का राजस्व अर्जित किया, जिसमें वाणिज्य कर के अलावा पंजीयन और आबकारी विभाग से ही उसे सबसे अधिक आमदनी हुई है।
वाणिज्य कर, जिसमें जीएसटी सहित अन्य कर शामिल हैं उससे 51 हजार 460 करोड़ रुपए का भारी-भरकम राजस्व हासिल हुआ और सालाना वृद्धि 13.28 प्रतिशत रही। दूसरी तरफ अगर पंजीयन और अधीक्षक मुद्रांक राजस्व की बात करें तो अभी समाप्त हुए वित्त वर्ष में 10320 करोड़ का राजस्व मिला, जबकि उसके पूर्व के वर्ष में यह 8890 करोड़ ही था। यानी पंजीयन विभाग के राजस्व में 16 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि सालभर में दर्ज हुई। इसके मायने यह हुए कि इंदौर सहित कई जिलों में बीते सालभर अचल सम्पत्ति के कारोबार में जो तेजी आई उसके परिणाम स्वरूप स्टाम्प ड्यूटी से मिलने वाली आय में अच्छा-खासा इजाफा हुआ।
उसकी तुलना में अगर आबकारी विभाग की बात करें तो 2022-23 में प्रदेशभर के शराब ठेकों से 13 हजार 5 करोड़ रुपए हासिल हुए थे, तो अभी समाप्त हुए वित्त वर्ष में उसे 13580 करोड़ रुपए ही मिल सके। यानी मात्र 4.42 प्रतिशत की वृद्धि ही राजस्व में हुई। जबकि उसकी तुलना में पंजीयन विभाग की वृद्धि दर 4 गुना ज्यादा तक रही। वहीं इंदौर के वरिष्ठ जिला पंजीयक दीपक शर्मा का कहना है कि आज भोपाल मुख्यालय से इंदौर जिले को लक्ष्य हासिल होगा। यानी इस चालू वित्त वर्ष में कितनी कमाई करना है उसका विभागीय लक्ष्य दिया जाएगा। गत वर्ष चूंकि 2400 करोड़ रुपए से अधिक की आय हुई थी। लिहाजा 2800-2900 या 3000 करोड़ रुपए त क का लक्ष्य भी मिल सकता है। अभी इस अप्रैल माह में भी अच्छी संख्या में रजिस्ट्रियां हो रही है और लगभग 70 करोड़ रुपए का लक्ष्य हासिल हो गया है।
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