भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार के गले की घंटी बंध चुके कारम डैम को लेकर एक बार फिर लापरवाही सामने आई है। पांच माह में भी सरकार तय नहीं कर पाई कि फूटे कारम डैम का क्या करना है। मानसून पांच महीने बाद फिर आएगा और फूटा डैम फिर परेशानी बढ़ा सकता है। गौरतलब है की पांच माह पहले 14 अगस्त को कारम डैम फूटा था, लेकिन अभी तक निर्माण शुरू नहीं हुआ। जल संसाधन विभाग तय नहीं कर पा रहा है घटिया बांध बनाने वाली कंपनी से ही काम करना है या किसी दूसरी कंपनी से। मंत्री तुलसी सिलावट कमेटी की रिपोर्ट का हवाला दे रहे है। जिस कंपनी के कारण बांध फूटा, वह निर्माण से ज्यादा पैमेंट ले चुकी है, लेकिन काम नहीं हुआ। पांच माह बाद फिर बारिश आ जाएगी और कमजोर डैम फिर आसपास के गांवों के लिए परेशानी की वजह बन सकता है।
पहले कर दिया ब्लैक लिस्टेड, फिर मांग लिया वर्क प्लान
कारम डैम का काम 300 करोड़ रुपयेे में एएनएस कंपनी को दिया गया था। कंपनी ने जरुरत से ज्यादा पैसा ले लिया, लेकिन काम उतना नहीं किया। न ठीक से मिट्टी की पाल बनाई और न गेेट लगाए। अफसरों ने भी बांध की गुणवत्ता देखे बगैैर उसे भरने की अनुमति दे दी। डैम पानी का दबाव सह नहीं पाया और उसे तोड़कर तालाब खाली करना पड़ा। लापरवाही सामने आने पर कंपनी को काली सूची में विभाग ने डाल दिया और फिर गुपचुप तरिके से फिर बचा काम करने के लिए वर्क प्लान मांग लिया। कंपनी ने पांच माह बाद भी काम शुरू नहीं किया। अफसर किसी दूसरी कंपनी से भी काम नहीं करा रहे हैै। इन हालातों में अधूरा डैम बारिश के समय फिर आसपास के गांवों के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है।
यह लापरवाही हुई कारम डैम बनाने में
जानकारों के अनुसार डैम बनाने के लिए मिट्टी की लेयर को मजबूत किया जाता है, लेकिन कारम बांध की दीवार के निर्माण में मिट्टी में पानी का अनुपात और उसे कम्पैक्ट करने में भी लापरवाही की गई। डैम की दीवार का निर्माण करते समय काली मिट्टी बीच मे डाली जाती हैं। इससे मिट्टी की पकड़ मजबूत होती हैं। पानी लीकेज भी नहीं होता है। फिर दोनों साइड पत्थर वाली मुरम डालते हैं। डैम में बड़े पत्थर डाले गए। निर्माण केे तत्काल बाद डैम को पूरा नहीं भरा जाता है और निकासी व्यवस्था रखी जाती है, लेकिन अफसरों ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। बांध पूरी क्षमता से भर दिया गया।
14 गांव कराने पड़े थे खाली
पिछले साल अगस्त माह में कारम डैम के टूटने का खतरा पैदा हो गया था। डैम से पानी का रिसाव शुरू होने के बाद सरकार हरकत में आई और बांध की डाउन स्ट्रीम के 15 गांवों को खाली कराया गया। इसके अलावा एबी रोड का ट्रैफिक भी घंटों तक रोका गया था। 14 अगस्त को डैम मेें बड़ा कट लगाकर पानी बहाया गया।
सिंचाई नहीं हो पाई, कंपनी से हर्जाना वसूले
नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के पूर्व चीफ इंजीनियर मुकेश चौहान का कहना है कि बांध का निर्माण आसपास के क्षेत्रों मेें सिंचाई के लिए किया जा रहा था। सिंचाई नहीं होने से किसानों को नुकसान हो रहा है। इसका हर्जाना कंपनी से वसूला जाना चाहिए। बांध को काटकर पानी बहाया गया था। वर्षाकाल आने से पहले उसका पूरा होना जरुरी है, ताकि वह और कमजोर न हो सके।
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