भोपाल: मध्य प्रदेश में व्यापारियों के तीव्र विरोध के चलते शिवराज सरकार (Shivraj Governament) ने ट्रेड लाइसेंस फीस (Trade License Fee) के मामले में अपने कदम पीछे खींच लिए हैं. सरकार ने इससे जुड़ा अपना चार दिन पुराना आदेश वापस ले लिया है. इस मामले में राज्य भर के तमाम व्यापारिक संगठनों ने सरकार के सामने अपना विरोध दर्ज कराया था.
इंदौर के मेयर ने लागू करने से किया था इन्कार
इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने तो अपने शहर में इस आदेश को लागू करने से इंकार कर दिया था. दरसअल, राज्य सरकार ने ट्रेड लाइसेंस फीस के लिए पूरे प्रदेश में एक समान नियम बनाते हुए इसकी अधिकतम सीमा 50 हज़ार रुपये तक कर दी थी. इससे राज्य के व्यापारी वर्ग के लोगों में आक्रोश का माहौल था.
सरकार का आया यह आदेश
मंगलवार 25 अप्रैल को जारी एक सरकारी आदेश में कहा गया है कि नगरीय विकास एवं आवास द्वारा 21 अप्रैल 2023 मध्य प्रदेश राजपत्र में प्रदेश के नगरों की सीमाओं के भीतर कोई व्यापार करने के लिए मध्य प्रदेश नगर पालिका (व्यापार अनुज्ञापन) नियम, 2023 अधिसूचित किया गया था. राज्य शासन इस नियम के क्रियान्वयन को तत्काल प्रभाव से आगामी आदेश तक के लिए स्थगित करता है.
इन नियमों के लागू होने के पूर्व जिन नगरीय निकायों द्वारा मध्य प्रदेश नगर पालिक निगम अधिनियम, 1956 अथवा मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के अनुसार निकाय स्तर पर व्यापार विनियमन के लिए व्यापार अनुज्ञप्ति जारी करने के लिए निर्धारित शुल्क पूर्वानुसार लागू रहेंगे.
क्या था पुराना आदेश
दरअसल, राज्य सरकार द्वारा 21 अप्रैल को मध्य प्रदेश के किसी भी शहर की नगर निगम सीमा में व्यापार करने के लिए सलाना 50 हजार तक ट्रेड लाइसेंस फीस निर्धारित कर दी गई थी. इसके अलावा वाहनों में एक जगह खड़े होकर या घूम-घूमकर व्यापार करने वालों को भी ट्रेड लाइसेंस फीस देना अनिवार्य कर दिया गया था. यह शुल्क नगर निगम द्वारा वसूल किया जाता है.
व्यापारिक संगठनों ने जताया था विरोध
नए प्रावधान में सड़क की चौड़ाई, परिसर, गुमटी और वाहन के आधार पर ट्रेड लायसेंस फीस लगाई गई थी. इसमें दो साल में पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रावधान भी किया गया था. इसके बाद कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) सहित कई व्यापारिक संगठनों ने राज्य सरकार द्वारा ट्रेड लाइसेंस का शुल्क बढ़ाये जाने का विरोध किया था.
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